Friday, 26 June 2020

नोबेल पुरस्कार विजेता

अमर्त्य सेन (जन्मः 1933): अर्थशास्त्र के लिए 1998 का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन पहले एशियाई हैं। शांतिनिकेतन में जन्मे इस विद्वान अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक पुस्तकें तथा पर्चे लिखे हैं। प्रोफेसर सेन आम अर्थशास्त्रियों के समान नहीं हैं। वह अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ, एक मानववादी भी हैं। उन्होंने, अकाल, गरीबी, लोकतंत्र, स्त्री-पुरुष असमानता और सामाजिक मुद्दों पर जो पुस्तकें लिखी हैं, वे अपने-आप में बेजोड़ हैं। केनेथ ऐरो नाम के एक अर्थशास्त्री ने असंभाव्यता सिद्धांत नाम की अपनी खोज में कहा था कि व्यक्तियों की अलग-अलग पसंद को मिलाकर समूचे समाज के लिए किसी एक संतोषजनक पसंद का निर्धारण करना संभव नहीं है। प्रोफेसर सेन ने गणितीय आधार पर यह सिद्ध किया है कि समजा इस तरह के नतीजों के असर को करने के उपाय ढूंढ सकता है।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर(1910-1995): सन 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर खगोल भौतिक शास्त्री थे। उनकी शिक्षा चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। वह नोबेल पुरस्कार विजेतर सर सी.वी. रमन के भतीजे थे। बाद में चंद्रशेखर अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं। उन्होंने ‘व्हाइट ड्वार्फ’ यानी श्वेत बौने नाम के नक्षत्रों के बारे में सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इन नक्षत्रों के लिए उन्होंने जो सीमा निर्धारित की है, उसे चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है। उनके सिद्धांत से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में अनेक रहस्यों का पता चला।
मदर टेरेसा (1910-1997): मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मदर का जन्म अल्बानिया में स्कोपजे नामक स्थान पर हुआ था, जो अब यूगोस्लाविया में है। उनका बचपन का नाम एग्नस गोंक्सहा बोजाक्सिऊ था। सन 1928 में वह आयरलैंड की संस्था सिस्टर्स आफ लोरेटो में शामिल हुईं और मिशनरी बनकर 1929 में कोलकाता आ गईं। उन्होंने बेसहारा और बेघरबार लोगों के दुख दूर करने का महान व्रत लिया। निर्धनों और बीमार लोगों की सेवा के लिए उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी नाम की संस्था बनाई और कुष्ठ रोगियों, नशीले पदार्थों की लत के शिकार बने लोगों तथा दीन-दुखियों के लिए निर्मल हृदय नाम की संस्था बनाई। यह संस्था उनकी गतिविधियों का केंद्र बनी। उन्होंने पूरी निष्ठा से न सिर्फ बेसहारा लोगों की निःस्वार्थ सेवा की, बल्कि विश्व शांति के लिए भी प्रयास जारी रखे। उन्हीं की बदौलत भारत शांति के लिए अपने एक नागरिक द्वारा नोबेल प्राप्त करने का गौरव प्राप्त कर सका है।
हरगोबिंद खुराना (1922-2011): हरगोबिंद खुराना को चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। भारतीय मूल के डॉ. खुराना का जन्म पंजाब में रायपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। उन्होंने लिवरपूल विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में डाक्टरेट की डिग्री ली। सन 1960 में वह विस्कौसिन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बने। उन्होंने अपनी खोज से आनुवांशिक कोड की व्याख्या की और प्रोटीन संश्लेषण में इसकी भूमिका का पता लगाया।
चंद्रशेखर वेंकटरमन (1888-1970): भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन थे। उन्हें 1930 में यह पुरस्कार प्राप्त हुआ। रमन का जन्म तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली के पास तिरुवाइक्कावल में हुआ था। उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। बाद में वह कोलकाता विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर बने। चंद्रशेखर वेंकटरमन ने अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए। उन्हें ‘सर’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया और प्रकाशकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने अपने अनुसंधान में इस बात का पता लगाया कि किस तरह अपसरित प्रकाश में अन्य तरंग, लंबाई की किरणें भी मौजूद रहती हैं। उनकी खोज को रमन प्रभाव के नाम से भी जाना जाता है। सन 1928 में की गई इस खोज से पारदर्शी माध्यम से होकर गुजरने वाली प्रकाश किरणों में आवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की गई है।
रवींद्रनाथ ठाकुर (1861-1943): रवींद्रनाथ ठाकुर, साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे। ‘गुरुदेव’ के नाम से प्रसिद्ध रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ। उन्हें उनकी कविताओं की पुस्तक गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक प्रेमगीत भी लिखे हैं। गीतांजलि और साधना उनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं। महान कवि, नाटककार और उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध ‘गुरुदेव’ ने भारत के राष्ट्र गान का भी प्रणयन किया। सन 1901 में उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो बाद में विश्वभारती विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
स्रोत: इंडिया बुक – एक संदर्भ वार्षिक

No comments:

Post a Comment

Featured post

Career & Courses as per Department of School Education & Literacy, Government of India

  Career & Courses EDUCATION SCHOOL TEACHER ASSISTANT PROFESSOR ACADEMIC RESEARCHER SPECIAL EDUCATOR PHYSICAL EDUCATOR PRE SCHOOL EDUCAT...