Tuesday 21 January 2020

KOMAL - A film on Child Sexual Abuse (CSA) - Hindi

KOMAL - A film on Child Sexual Abuse (CSA) - Hindi
Courtesy: Ministry of Women and child development
Source: youtube.com/watch?v=5cBQtZRbRJU

LIKE SISTERS : Award winning short film on Child Marriage

LIKE SISTERS : Award winning short film on Child Marriage:
Produced by CLIMB MEDIA for CHILDLINE INDIA FOUNDATION. Credits: Childline Team: Nishit Kumar, Nipa Bhansali Storyboard, Design & Direction: Prashant Shikare Creative Producer: Kireet Khurana Story screenplay: Tehzeeb Khurana / Kireet Khurana Visual Direction : Raviraj Kumbhar Animation Director : Vishnu Jadhav Compositing : Arvind Shirke Music : Ashish Jha / Pravin Jain Sound design : Pranay Sane Animation Producer : Nikhil Warwadekar Exec. Producer : Raviraj Wade

Source:https://www.youtube.com/watch?v=6Zb0tU2e63E

Online learning: education conventions have changed

Recently, I completed an online certificate in teaching. This made me realized how much has changed from the past in our conventional teaching methods. Our traditional learning methods are not applicable anymore. Online learning has transformed the conventional learning style at our school, college, and university level. Students are not forced anymore to stay active or keep their eyes open during a boring lecture in a traditional classroom setting. Classrooms are everywhere at any time from their laptops, iPad or even iPhone. Today, school teachers, college instructors, and university professors carry a role of mentor, facilitator, and coaches.
Mobile Learning: In my career as a business instructor, I have seen students taking notes on their notebook, laptops, iPad and now on their cell phones. I do wonder at times if they are texting on cellphones or browsing social media. However, it has made me realized that mobile learning is the new conventional teaching method. Studying from the pictures of notes or recording a voice message on your cell phone for a group project is a new norm.
Virtual classrooms: Secondly, virtual classrooms are an online place where students learn from presentations, watch videos and discuss with other participants. It is accessible anytime at any location as long as you have a strong wi-fi signal. Lectures and tutorials are delivered online with impromptu student-teacher and group projects’ meetings.
Web 3.0: Web 1.0 or the World Wide Web was a way to use the internet – a one-way traffic. Further, Web 2.0 came as a two communication between internet and individual. It was a buzz word in the 2000s. Nowadays, the Semantic web or web 3.0 is a new system for storing online information in such a way that computers can understand this information as any human being. Internet experts and computer scientists believe that it will bring a new paradigm shift in the way we use the internet. No doubt, all machines will be internet connected, and it will aid in our teaching methods.
Future of online learning: Having said this, infographics, webinars, podcasts, social media (Facebook, YouTube, Twitter, Instagram etc.) and online presentation tools are used in daily teaching methods. In addition to online learning, the question is: will these massive open online courses have the same credential values as our traditional face to face degrees? Something to explore in future. 
Amna Khaliq is a Business Management Instructor at Northern Lights College. The views expressed are her own. She believes that kindness, smiles, love, and yawning is contagious. In her spare time, she likes traveling, cooking, reading and working out.

Tuesday 7 January 2020

गुरु गोरखनाथ जीवनी एवं इतिहास

गुरु गोरखनाथ जीवनी एवं इतिहास

गुरु गोरखनाथ

भारत की भूमि ऋषि-मुनियो और तपस्वियों की भूमि रही है। जिन्होंने अपने बौद्धिक क्षमता के दम पर भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण सृष्टि के भलाई के लिए बहुत योगदान दिया है। ऋषि-मुनियो के शिक्षा से हमें जीवन में सही राह चुनने का ज्ञान होता है। साधु महात्माओ द्वारा दिए गए ज्ञान-विज्ञान 21 वी सदी में भी बहुत प्रासंगिक हैं।
Guru Gorakhnath Biography and History in Hindi
महापुरुषों में ऐसे कई ऋषि-मुनि हुए जो बचपन से ही दैविये गुणों के कारण या तपस्या के फलस्वरूप कई प्रकार की सिद्धियाँ व शक्तियां प्राप्त कर लेते थे, जिनका उपयोग मानव कल्याण तथा धर्म के रक्षार्थ हेतु हमेशा से किया जाता रहा है।
यह सिद्धियाँ और शक्तियाँ ऋषि-मुनियों को एक चमत्कारी तथा प्रभावी व्यक्तित्व प्रदान करती हैं और ऐसे सिद्ध योगियों के लिए भौतिक सीमाए किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं कर पाती है।
पर इन शक्तियों को प्राप्त करना सहज नहीं है| परमशक्तिशाली ईश्वर द्वारा इन सिद्धियों के सुपात्र को ही एक कड़ी परीक्षा के बाद प्रदान किया जाता  है। आज हम ऐसे एक सुपात्र सिद्ध महापुरुष जो साक्षात् शिवरूप माने जाते हैं के बारे में बात करेंगे| इनके बारे में कहा जाता है  कि आज भी वह सशरीर जीवित हैं और हमारे पुकार को सुनते हैं और हमें मुसीबतो से पार भी लगाते हैं। हम बात कर रहे हैं महादेव भोलेनाथ के परम भक्त –

महान तपस्वी गुरु गोरखनाथ महाराज 

की।

गोरखनाथ शब्द का अर्थ

गुरु गोरखनाथ को गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ “गाय को रखने और पालने वाला या गाय की रक्षा करने वाला” होता है। सनातन धर्म में गाय का बहुत ही धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि गाय  के शरीर में सभी 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते है। भारतीय संस्कृति में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है।

guru gorakhnath stories hindiगुरु गोरखनाथ समाधि

गुरु गोरखनाथ के नाम पर उत्तरप्रदेश में गोरखपुर नगर है। गुरु गोरखनाथ ने यहीं पर अपनी समाधि ली थी। गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ का एक भव्य और प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर पर मुग़ल काल में कई बार हमले हुए और इसे तोड़ा गया लेकिन हर बार यह मंदिर गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से अपने पूरे गौरव के साथ खड़ा हो जाता।
बाद में नाथ संप्रदाय के साधुओं द्वारा सैन्य टुकड़ी बना कर इस मंदिर की दिन रात रक्षा की गई। भारत ही नहीं नेपाल में भी गोरखा नाम से एक जिला और एक गोरखा राज्य भी है | कहा जाता है कि गुरु गोरखनाथ ने यहाँ डेरा डाला था जिस वजह से इस जगह का नाम गोरखनाथ के नाम पर पड़ गया तथा यहाँ के लोग गोरखा जाति के कहलाये|

गुरु गोरखनाथ के जन्म से जुड़ी असाधारण बात

गुरु गोरखनाथ का जन्म स्त्री गर्भ से नहीं हुआ था बल्कि गोरखनाथ का अवतार हुआ था। सनातन ग्रंथो के अनुसार गुरु गोरखनाथ हर युग में हुए है तथा उनको महान चिरंजीवियों में से एक गिना जाता है |
गुरु गोरखनाथ की उत्पत्ति गहन शोध का विषय है कई मॉडर्न इतिहासकारो का मानना है कि भगवान राम और श्री कृष्ण की तरह ही गुरु गोरखनाथ एक काल्पनिक किरदार हैं और कई इतिहासकारों का कहना है कि गुरु गोरखनाथ का काल 9 वी शताब्दी के मध्य में था।
लेकिन सनातन पंचांग जो दुनिया का एकमात्र वैज्ञानिक कैलेंडर है की माने तो गुरुगोरखनाथ सभी युगो में थे तथा भगवान् श्री राम और भगवान् श्री कृष्ण से संवाद भी स्थापित किये थे |

रोट उत्सव से जुड़ी रोचक जानकारी

नेपाल के गोरखा नामक जिला में एक गुफा है जिसके बारे में कहा जाता है की गुरु गोरखनाथ ने यहाँ तपस्या की थी आज भी उस गुफा में गुरु गोरखनाथ के पगचिन्ह मौजूद है साथ ही उनकी एक मूर्ति भी है। इस स्थल पर गुरु गोरखनाथ के स्मृति में प्रतिवर्ष वैशाख पूर्णिमा को एक उत्सव का योजन होता है जिसे बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव को “रोट उत्सव” के नाम से जाना जाता है। नेपाल नरेश  नरेन्द्रदेव भी गुरु गोरखनाथ के बहुत बड़े भक्त थे| वह उनसे दिक्षा प्राप्त कर उनके शिष्य बन गए थे।

तेजवंत गुरु मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गोरखनाथ

शंकर भगवान को नाथ संप्रदाय के संस्थापक कहा जाता है | जिसके आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय थे | भगवान् दत्तात्रेय के शिष्य मत्स्येन्द्रनाथ थे | वह ध्यान धर्म और प्रभु उपासना के उपरांत भिक्षाटन कर के जीवन व्यतीत करते हैं |
एक बार भिक्षाटन करते हुए एक गाँव में गए | उन्होंने एक घर के बहार आवाज़ लगाई| घर का दरवाजा खुला और एक महिला ने मत्स्येन्द्रनाथ को अन्न दान किया और प्रणाम करते हुए कहा कि मेरा पुत्र नहीं है और आशीर्वाद माँगा कि मुझे एक पुत्र चाहिए जो वृद्धावस्था में मेरा उद्धार कर सके |
मत्स्येन्द्रनाथ ने उस स्त्री को चुटकी भर भभूत दिया और बोले की इसका सेवन कर लो यथासमय तुम्हे जरूर पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी जो बहुत ही धार्मिक होगा और उसकी ख्याति देश-विदेश में बढ़ेगी। ऐसा आशीर्वाद देकर मत्स्येन्द्रनाथ अपने यात्रा क्रम में भिक्षाटन करते हुए आगे बढ़ गए |
लगभग बारह वर्ष पश्चात् गुरु मत्स्येन्द्रनाथ यात्रा करते हुए उसी गांव में पहुंचे| भिक्षाटन करते हुए जब मत्स्येन्द्रनाथ उस घर के समीप गए तो उन्हें वो स्त्री याद आई जिसको उन्होंने भभूत खाने के लिए दिया था |
द्वार पर आवाज लगाने के बाद वही स्त्री बहार आई। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने बालक के बारे में पूछा तो स्त्री सकपका गई, डर और लज़्ज़ा के मारे उसके मुख से वाणी नहीं निकल रही थी |
हिम्मत करते हुए स्त्री ने बताया कि,
आप जब भभूत देकर गए तो आस-पड़ोस की महिलाएँ मेरा उपहास करने लगीं  कि,  मैं साधु-संतो के दिए हुए भभूत पर विश्वास करती हूँ… इसलिए,  मैंने उस भभूत को सेवन करने के बजाय गोबर पर  फेंक दिया |
तब, गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने अपने योगबल से पूर्ण स्थिति को जान लिया | उसके बाद वह चुपचाप उस तरफ बढे जिस तरफ उस स्त्री ने भभूत फेंका था |
उस जगह पहुँच कर उन्होंने आवाज लगाई और तभी एक तेज से परिपूर्ण ओजस्वी 12 वर्ष का बालक दौड़ता हुआ गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के पास आ गया और गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उस बालक को लेकर अपने साथ चल दिए |
यही बालक आगे चल कर गुरु गोरखनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। महायोगी गोरखनाथ को मत्स्येन्द्रनाथ का मानस पुत्र और शिष्य दोनों कहा जाता है।

नाथ संप्रदाय का एकत्रीकरण एवं विस्तरण

गुरु गोरखनाथ और मत्स्येन्द्रनाथ से पहले नाथ संप्रदाय बहुत बिखरा हुआ था | इन दोनों ने नाथ संप्रदाय को सुव्यवस्थित कर इसका विस्तार किया | साथ ही मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गोरखनाथ ने नाथ संप्रदाय का एकत्रीकरण किया। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी समुदाय से आते हैं। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होने के साथ साथ नाथ संप्रदाय के प्रमुख महंत भी है।
गुरु गोरखनाथ को हठ योग और नाथ संप्रदाय का प्रवर्तक कहा जाता है। जो अपने योगबल और तपबल  से सशीर चारों युग में जीवित रहते हैं। गोरखनाथ और मत्स्येंद्रनाथ को 84 सिद्धों में प्रमुख माना जाता है।
गुरु गोरखनाथ साहित्य के पहले आरम्भकर्ता थे। उन्होंने नाथ साहित्य की सर्वप्रथम शुरुआत की। इनके उपदेशो में योग और शैव तंत्रो का समावेश है। गुरु गोरखनाथ ने पूरे भारत का भ्रमण किया तथा लगभग चालीस रचनाओं को लिखा था।

Life Stories of Guru Gorakhnath

गुरु गोरखनाथ के जीवन प्रसंग

एक बार गुरु गोरखनाथ जंगल के मध्य में स्थित एक पहाड़ पर महादेव की तपस्या में लीन थे। गोरखनाथ की इस भक्ति को देखकर माता पार्वती ने भगवान शंकर से पूछा कि यह कौन है जो आपको प्रसन्न करने के लिए इतनी कठिन तपस्या कर रहा है?
तब महादेव ने माता पार्वती को बताया –
जनकल्याण और धर्म की रक्षा करने के लिए मैंने ही गोरखनाथ के रूप में अवतार लिया है |
इसीलिए महान योगी गोरखनाथ को “शिव का अवतार” भी कहा जाता है |

त्रेता युग

त्रेतायुग में गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ का आश्रम था | सनातन ग्रंथो के अनुसार श्री राम के राजयभिषेक  का निमंत्रण गुरु गोरखनाथ के पास भी गया था और वह उत्सव में सम्मिलित भी हुए थे|

द्वापर युग

कई हिन्दू ग्रंथो के अनुसार द्वापरयुग में जूनागढ़, गुजरात स्थित गोरखमढ़ी में गुरु गोरखनाथ ने तप किया था और इसी स्थान पर श्री कृष्ण और रुक्मणि का विवाह भी सम्पन्न हुआ था। गुरु गोरखनाथ ने देवताओ के अनुरोध पर द्वापरयुग में श्री कृष्ण और रुक्मणि के विवाह समारोह में भी अपनी उपस्थिति दी थी |

कलयुग 

कलयुग काल के दौरान कहा जाता है कि राजकुमार बाप्पा रावल किशोरावस्था में एक बार घूमते-घूमते बीच बीहड़ जंगलो में पहुंच गए वहाँ उन्होंने एक तेजस्वी साधु को ध्यान में बैठे हुए देखा जो की गोरखनाथ बाबा थे |
गुरु गोरखनाथ के तेज से प्रभावित होकर बाप्पा रावल ने उनके निकट ही रहना प्रारम्भ कर दिया और उनकी सेवा प्रारम्भ कर दी कुछ दिन बाद जब गोरखनाथ का ध्यान टूटा तो बाप्पा रावल की सेवा से वह प्रसन्न हुए और उन्हें एक तलवार आशीर्वाद के रूप में दी | बाद में इसी तलवार से मुगलों को हराकर चित्तोड़ राज्य की स्थापना बाप्पा रावल ने की |

गुरु गोरखनाथ महिमा

आज भी बड़ी संख्या में लोग गुरु गोरखनाथ गोरखनाथ के प्रति अटूट विश्वास और आस्था रखते हैं| और यह श्रद्धा सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे नेपाल और पाकिस्तान के कुछ भागों में भी लोग बाबा गोरखनाथ के मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं. खिचड़ी या मकरसंक्रांति के पर्व पर गोरखपुर के प्रसिद्द गोरखनाथ मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु लाखों की संख्या में खिचड़ी का चढ़ाव चढाते हैं|
गुरु गोरखनाथ बाबा का मंदिर
इमेज: गुरु गोरखनाथ बाबा का मंदिर, गोरखपुर
नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ जी के बारे में  पुराणों में तो उल्लेख मिलता ही है साथ ही परम्पराओं, जनश्रुतियों, लोक कथाओं आदि में भी गोरखनाथ बाबा का उल्लेख खूब मिलता है। यह लोक कथाएं भारत के साथ-साथ काबुल, सिंध, बलोचिस्तान, नेपाल,भूटान आदि देशो में भी प्रसिद्ध हैं।

नाथ साहित्य 

इन्ही किवदंतियो से हमें यह पता चलता है कि गुरु गोरखनाथ ने भारत से बहार नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, मक्का-मदीना, इत्यादि जगहों तक लोगों को दीक्षित किया था और “नाथ साहित्य” के माध्यम से लोगो को शिक्षित भी किया था।
गुरु गोरक्षनाथ जी ने अपनी रचनाओं में तपस्या, स्वाध्याय और ईश्वर-उपासना को अधिक महत्व दिया है साथ ही हठ योग का भी उपदेश दिया। नाथ साहित्य के प्रमुख कवियों में –
  • चौरंगीनाथ
  • गोपीचंद,
  • भरथरी, आदि
का नाम आता है। नाथ साहित्य की रचनाएँ साधारणतः दोहों अथवा पदों में प्राप्त होती हैं और कहीं-कहीं चौपाई का भी प्रयोग मिलता है।
परवर्ती संत-साहित्य पर सिद्धों और विशेषकर नाथों के नाथ साहित्य का गहरा प्रभाव पड़ा है | गुरु गोरखनाथ द्वारा रचित 40 रचनाएँ हैं | हिंदी भाषा के शोधकर्ता डॉक्टर “बड़थ्वाल जी” ने बड़ी खोजबीन के बाद इनमें से 14 रचनाओं को अति प्राचीन  बताया है |
वहीँ, 13वीं  पुस्तक “ज्ञान चौंतीसी” अनुपलब्ध होने के कारण प्रकाशित नहीं हो पाई है | बाकी की तेरह रचनाएं गोरखनाथ जी की रचना समझकर प्रकाशित की गयी है जो इस प्रकार है – सबदी, पद, शिष्यदर्शन, प्राण-सांकली, नरवै बोध, आत्मबोध, अभयमात्रा जोग, पंद्रह तिथि, सप्तवार, मंच्छिद्र गोरख बोध, रोमावली, ज्ञान तिलक, ज्ञान चौतींसा आदि।
धन्यवाद!
प्रिंस पाण्डेय 
प्रिंस जी एक विद्यार्थी हैं. इन्हें घूमने और पढने – लिखने का शौक है| इसके अलावा इनकी रूचि योग और web development में भी है. एक से बढ़कर एक कहानियां, जीवनियाँ, ज्ञानपूर्ण बातें और प्रेरणास्पद विचारों को पढने के लिए आप इनके ब्लॉग Guruji in Hindi पर ज़रूर विजिट करें|

Kids Stories in Hindi

छोटे बच्चों के लिए नयी कहानियाँ

दोस्तों, आज हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं 6 छोटी-छोटी कहानियां जो बच्चों को बहुत पसंद आती हैं. आप इन कहानियों को अपने नन्हे-मुन्नों को सोते वक़्त सुना सकते हैं और इनसे मिलने वाली सीख के बारे में उनसे प्रश्न कर सकते हैं. तो आइये देखते हैं इन short kids stories in Hindi को.
Kids Stories in Hindi

Kids Stories in Hindi #1: साधू की झोपड़ी

एक गाँव के पास दो साधू अपनी अपनी झोपड़ियाँ बना कर रहते थे। दिन के वक्त वह दोनों गाँव जा कर भिक्षा मांगते और उसके बाद पूरा दिन पूजा-पाठ करते थे। एक दिन भारी तूफान और आँधी आने के कारण उनकी झोपड़ियाँ जगह-जगह से टूट-फूट गयीं और बहुत हद तक बर्बाद हो गयीं।
पहला साधू यह सब देख कर दुख के मारे विलाप करने लगा और बोला,
हे ईश्वर ! तूने मेरे साथ यह अनर्थ क्यों किया। क्या मेरी भक्ति, तप, जप और पूजा का यही पुरस्कार है ?
इस तरह वह पूरा दिन बड़बड़ाते हुए, अपना जी जलाते हुए वहीं एक पेड़ के नीचे बैठ गया।
तभी वहाँ दूसरा साधू आ पहुंचा। उसने अपनी बर्बाद जोपड़ी देखी तो वह मुस्कुराने लगा। और उसी वक्त ऊपरवाले का धन्यवाद करने लगा। उसने कहा कि-
ऐसे भीषण तूफान में तो पक्के मकान भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं पर तूने तो मेरी आधी झोपड़ी बचा ली। आज यह बात सिद्ध हो गयी की तू मेरी भक्ति से कितना प्रसन्न है। और तेरी मुझ पर कितनी बड़ी कृपा है।
सीख – हर अच्छी बुरी घटना के दो पहलू होते हैं। बुरा निष्कर्ष निकालना, या अच्छा अर्थ निकालना यह आप के हाथ में है।

Kids Stories in Hindi #2: घास, बकरी और भेड़िया

एक बार की बात है एक मल्लाह  के पास घास का ढेर, एक बकरी और एक भेड़िया होता है। उसे इन तीनो को नदी के उस पार लेकर जाना होता है। पर नाव छोटी होने के कारण वह एक बार में किसी एक चीज को ही अपने साथ ले जा सकता है।
अब अगर वह अपने साथ भेड़िया को ले जाता तो बकरी घास खा जाती।
अगर वह घास को ले जाता तो भेड़िया बकरी खा जाता।
इस तरह वह परेशान हो उठा कि करें तो क्या करें? उसने कुछ देर सोचा और फिर उसके दिमाग में एक योजना आई।
सबसे पहले वह बकरी को ले कर उस पार गया। और वहाँ बकरी को छोड़ कर, वापस इस पार अकेला लौट आया। उसके बाद वह दूसरे सफर में भेड़िया को उस पार ले गया। और वहाँ खड़ी बकरी को अपने साथ वापस इस पार ले आया।
इस बार उसने बकरी को वहीँ बाँध दिया और घास का ढेर लेकर उस पार चला गया। और भेड़िया के पास उस ढेर को छोड़ कर अकेला इस पार लौट आया। और फिर अंतिम सफर में बकरी को अपने साथ ले कर उस पार चला गया।
सीख – मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी हो, खोजने पर समाधान मिल ही जाता है।

Kids Stories in Hindi #3: राजकुमारी का चाँद

एक समय की बात है। एक राजा की नन्ही लाडली बेटी आसमान से चांद तोड़ लाने की ज़िद कर बैठी। पर ज़िद पूरी ना होने के कारण वह खूब रोई और बुरी तरह बीमार पड़ गयी। वैद्य, हकीम सब उसे ठीक करने में नाकाम रहे।
अंत में पुत्री प्रेम में भावुक बने राजा ने यह घोषणा करा दी कि –
जो व्यक्ति उसकी बेटी के लिए चांद तोड़ कर लाएगा। उसे वह धनवान बना देंगे।
राजा के इस पागलपन को सुन कर दरबारी और नगरवासी उस पर हंसने लगा। लेकिन राजा को बस अपनी लाडली बेटी के ठीक होने से मतलब था, और वह इसके लिए कुछ भी करने को तैयार था।
नगर में रहने वाले एक बुद्धिमान व्यापारी से राजा का दुख देखा नहीं गया। वह तुरंत उन से मिलने आया। और बोला कि मैं आपकी बेटी के लिए चांद तोड़ लाऊँगा।
इतना बोल कर वह राजकुमारी के पास गया। उसने नन्ही राजकुमारी से कहा, “चांद कितना बड़ा है?”
राज कुमारी ने जवाब दिया, “मेरी उंगली की मोटाई जितना।”
चूँकि जब मै अपनी उंगली उसके आगे रख देती हूँ तो वह दिखता नहीं है।
फिर व्यापारी बोला, “चांद कितना ऊंचा है?”
तब राजकुमारी ने कहा, “शायद पेड़ जितना ऊंचा है। चूँकि, महल के बाहर लगे पेड़ के ऊपर ही तो वह दिखता है।”
फिर उसने पूछा चांद कैसा दिखता है?
तब राजकुमारी बोली, “वह तो सफ़ेद चमकीला चाँदी जैसा दिखता है।”
व्यापारी हंस कर बोल उठा। ठीक है, मै कल ही चांद तोड़ कर आप के लिए ला दूंगा। उसके बाद वह राजा को मिल कर अपनी युक्ति बता कर वहाँ से चला जाता है।
दूसरे दिन व्यापारी एक चांदी का छोटा सा चांद ले कर महल में आता है। और राजकुमारी से कहता है की मै आकाश से चांद तोड़ लाया हूँ। राजकुमारी चांद देख ख़ुशी से उछलने लगती है। और दिन भर उसके साथ खेलती है। अपनी ज़िद पूरी होने से उसकी तबीयत  भी ठीक हो जाती है।
पर बावजूद इसेक राजा को एक चिंता थी, उन्होंने कहा, “अगर राजकुमारी नें खिड़की के बाहर आसमान में चांद देख लिया तो वह फिर से उदास होगी।”
तब व्यापारी ने कहा कि उसके पास इसका भी समाधान है।  वह राजकुमारी के पास गया और खेल-खले में पूछा, “आपको पता है जब किसी बच्चे का दांत टूट जाता है तो क्या होता है?”
“हाँ, दूसरा दांत निकल आता है।”, राजकुमारी बोली।
“बिलकुल सही!”, “अच्छा जब कोई चाँद तोड़ लेता है तो पता है क्या होता है?”, व्यापारी ने पुचकारते हुए पूछा।
तब राजकुमारी मुस्कुरा कर बोली, “हाँ, वहाँ दूसरा चांद उग आता है।”
“अरे वाह! आपको तो सब पता है! चलिए आज नए चाँद को देखें!”, और ऐसा कह कर व्यापारी ने खिड़कियाँ खोल दीं।
राजकुमारी ने नया चाँद देखा और कहा, “मेरा चाँद तो उससे भी अच्छा है, और खेलने में व्यस्त हो गयी।
यह सब देखकर राजा प्रसन्न हो गया और व्यापारी को ढेर सारा इनाम दिया।
सीख –  कई बार बड़ी मुसीबतें भी छोटी सी युक्ति आज़मा कर टाली जा सकती हैं

New technology will allow readers to read eBooks before their publication day

New technology will allow readers to read eBooks before their publication day

by 

The eBook distribution company, Smashwords, has announced a new bookselling tool that will allow readers to buy and read books before they’re properly on the market.
The key here is that there is a difference between pre-orders (what you’re used to doing online for hotly anticipated books, resulting in you getting a copy when stock gets released on publication day) and pre-sales (buying the thing and getting to use it that day). The new Smashwords tool deals specifically in pre-sales.
The company hopes that publishers and authors will be able to use this service to their advantage, mostly by incentivizing readers to sign up to special mailing lists through which they’ll be able to get early access that content they gotta have now. At that point the writer or publisher will have captured a new email address to which they can direct future marketing efforts.
The Smashwords Store will sell all file types that the content provider allows in an effort to serve audiences with all types of eReaders.
While pre-sales (of a sort) aren’t new, the new technology behind the Smashwords Presales tool—that is, the patent pending—is “a product release system, method and device having a customizable repurchase function.”
Like all good technologies it relies a bit on … the honor system? As Smashwords founder Mark Coker writes in the announcement:
One of the most common forms of ebook piracy is accidental piracy, which is when an enthusiastic reader shares a great ebook with a friend.  Authors and publishers have the option to require presale customers to digitally sign an anti-piracy pledge in which the customer must affirmatively agree that the book is licensed for their personal enjoyment only and they may not illegally share the ebook with anyone.  The pledge acts as a gentle reminder to customers of their legal and ethical obligation to respect the author’s intellectual property.
For the moment it seems that the most obvious users of this technology will be self-published authors, whose books don’t always have a hard “launch” in the way that books from mainstream publishers do, and who are looking to build a more intimate relationship with a bigger audience.


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