Sunday, 6 December 2020

डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय / Dr Bhim Rao Ambedkar Biography in hindi

 


डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय (Dr Bhim Rao Ambedkar Biography in hindi )

डॉ भीमराव अम्बेडकर की पहचान न्यायवादी, समाज सुधारक और प्रखर राजनेता के रूप में हैं. उन्हें भारतीय संविधान का पिता भी कहा जाता है. देश में एक प्रसिद्ध राजनेता के रूप में  अस्पृश्यता और जातिगत प्रतिबंधों, और अन्य सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए उनके प्रयास उल्लेखनीय थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को सशक्त बनाने एवं उनके अधिकारों की रक्षा करने में लगा दिया. स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भीमराव अम्बेडकर की पहचान ना केवल एक स्वतंत्रता सेनानी की हैं बल्कि भारत के महापुरुषों में भी उनका स्थान अग्रणी हैं. उन्होंने कमजोर और पिछड़े वर्ग के बीच फैली अशिक्षा,गरीबी और अन्य समस्याओं को कम करने के लिए उनके लिए सामाजिक अधिकारों और हितों की रक्षा की. हालांकि अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ा लेकिन स्वतंत्र भारत का संविधान बनाकर उन्होने ये सुनिश्चित किया कि भविष्य के भारत में ये असमानता खत्म हो और दलित एवं पिछड़े वर्ग का ज्यादा शोषण ना हो.

प्रारम्भिक जीवन (Ambedkar early life)

नाम (Name)भीमराव रामजी अम्बेडकर
वास्तविक नाम (Real Name)अम्बावाडेकर
लोकप्रिय  नाम (Popular name)बाबा साहेब
जन्म (Birth date)14 अप्रैल 1891
जन्मस्थान (Birth place)महू,मध्यप्रदेश
धर्म (Religion)जन्म से हिन्दू बाद में बौद्ध
जाति (Cast)महार
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय

पारिवारिक जानकारी संक्षिप्त में

पिता (Father)रामजी मालोजी सकपाल
माता (Mother)भीमाबाई
भाई (Brother)बलराम,आनंदराव
बहिन (Sister)मंजुला और तुलसा
पत्नी (Wife)रमाबाई और डॉक्टर शारदा कबीर
पुत्र (Son)यशवंत
पौत्र (Grand-son)अम्बेडकर प्रकाश यशवंत (बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के चीफ एडवाइजर)

बाबासाहेब के पिता भारतीय आर्मी में सूबेदार थे. भीमराव अपने 14 भाई बहिनों में सबसे छोटे थे. 1894 में उनके पिता की सेवानिवृति के बाद उनका परिवार सतारा शिफ्ट हो गया. और कुछ समय बाद 1896 में भीमराव की माता का देहांत हो गया. और उनकी परवरिश उनके बुआ ने की, इस दौरान उन्हें बहुत सी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. 4 वर्ष बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली उनका परिवार बोम्बे शिफ्ट हो गया.

उनके अध्यापक महादेव अम्बेडकर जो कि स्वयं ब्राह्मण थे, उन्होंने अपना सरनेम अम्बवाड़ेकर से अम्बेडकर करने का सुझाव दिया. उनके परिवार ने और उन्होंने सारी उम्र अपृश्यता और अपमान को झेला था. वास्तव में महार जाति को तब निम्न वर्ग में माना जाता था, और इसी कारण से उन्हें एवं उनके परिवार को कई बार सामजिक-आर्थिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था. महार जाति मुख्यतया महाराष्ट्र में मिलती हैं, वहाँ लगभग 10% जनसंख्या महार हैं.

निजी जीवन और विवाह (Bhim Rao Ambedkar personal life and marraige)

अबेडकर का पहला विवाह 1906 में हुआ था, तब वो मात्र 15 वर्ष के थे,और उनकी पत्नी 9 वर्ष की थी उनके एक पुत्र हुआ जिसका नाम यशवंत रखा गया,लेकिन उनकी पहली पत्नी रमाबाई  की 1935 में मृत्यु हो गयी. जब वो नींद की कमी और  न्यूरोटिक बीमारी से जूझ रहे थे तब वो डॉक्टर शारदा कबीर से मिले और उन दोनों ने 15 अप्रैल 1948 को विवाह कर लिया. शादी के बाद शारदा ने अपना नाम सविता अम्बेडकर कर लिया. 

शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन  (Dr Bhimrao Ambedkar Education and Early life)

  • अम्बेडकर जी को स्कूल के दिनों में भी उन्होंने काफी छुआछूत का समाना किया था. समाज के डर के चलते आर्मी स्कूल में ब्राह्मिनो के बच्चों को अन्य पिछड़े वर्ग के बच्चो से अलग बैठाया जाता था. कालांतर में उन्होंने लिखा भी हैं कि कैसे उन्हें स्कूल में पानी पीने का मूलभूत अधिकार तक नही मिला था, इसके लिए उन्हें चपरासी (पियोन) की आवश्कता होती थी, यदि चपरासी नही तो पानी भी नही मिलता था.
  • हालांकि उनके पिता के आर्मी में होने के कारण उनको अच्छी शिक्षा मिल गयी थी लेकिन साथ ही भीमराव को जीवन लक्ष्य भी मिल गया था, उन्होंने तब ही ये दृढ-निर्णय कर लिया था कि वो अपने समाज को मूलभूत अधिकार दिलाकर रहेंगे.
  • युवावस्था में अम्बेडकर ने बहुत सी बाधाओं का सामना करके पढाई को ज़ारी रखा. 1897 में उनके परिवार के साथ वो बोम्बे शिफ्ट हो गये, यहाँ उन्होंने एलफिनस्टोन हाई स्कूल में एडमिशन लिया, और इस तरह की उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने उस वर्ग के पहले व्यक्ति बन गये जिसे प्रति दिन छुआछूत जैसी समस्या का सामना करता था.
  • 1907 में अपने मेट्रिक की पढाई पूरी करने बाद उन्होंने 1908 में उन्होंने एलफिनस्टोन कॉलेज में प्रवेश लिया, और फिर से पहली बार अपने वर्ग में किसी के यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले व्यक्ति बन गये. उनका पूरा समाज उनकी इस सफलता से बहुत उत्साहित हो गया और इसके लिए उत्सव मनाने लगा लेकिन उनके पिता इसके लिए आज्ञा नहीं दी, उनका मानना था कि ये सफलता उनके बेटे के सर पर चढ़ जाएगी.
  • 1912 में उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री पूरी की, स्नातक में उनके विषय इकोनॉमिक्स और राजनीति विज्ञान थे. इसके बाद उन्होंने थोड़े समय के लिए बडौदा राज्य सरकार में नौकरी जिसके बाद उन्हें बडौदा स्टेट स्कालरशिप मिल गयी जिससे उन्हें न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी जाकर पोस्ट-ग्रेजुएट करने का मौका मिला था. इस तरह 1913 में वो आगे की पढाई के लिए अमेरिका चले गये.
  • 1915 में उन्होंने अपना एमए समाजशास्त्र, इतिहास,फिलोसोफी और एंथ्रोपोलॉजी में पूरा किया. 1916 में वो लन्दन चले गये जहां उन्होंने लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के साथ बार एट ग्रेज इन् (Bar at Gray’s Inn) में दाखिला लिया. इस तरह अगले 2 सालों में उन्होंने इकोनॉमिक्स में पीएचडी हासिल कर ली.

अम्बेडकर का करियर (Dr Bhimrao Ambedkar career)

  • पढाई पूरी करके 1917 में भारत लौटने पर उन्होंने प्रिंसली स्टेट ऑफ़ बड़ोदा के लिए डिफेन्स सेक्रेट्री के लिए काम शुरू किया. हालांकि इस काम के दौरान उन्हें काफी अपमान और छुआछूत का सामना करना पड़ा था.
  • मिलिट्री मिनिस्टर का क्षेत्र छोड़ने के बाद उन्होंने प्राइवेट ट्यूटर और अकाउंटेंट के रूप में काम करना शुरू किया.
  • उन्होंने कंसल्टेंसी बिजनेस शुरू किया जो कि सामाजिक स्थिति के कारण नही चल सका.
  • उसके बाद 1918 में उन्होंने मुंबई के सिडेन्हाम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स (Sydenham College of Commerce and Economics) में पढाने का काम किया. उसके बाद उन्होंने वकालात का भी काम किया.
  • जातिगत भेदभाव का शिकार बनने के कारण उन्हें अपने इस अस्पृश्य समाज के उत्थान की प्रेरणा मिली. इस कारण कोल्हापुर के महाराज की मदद से उन्होंने एक साप्ताहिक जर्नल मूकनायक शुरू किया जो कि हिन्दुओ के कट्टर रीति रिवाजों की आलोचना करता था,और राजनीतिज्ञों को इस असमानता के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता था,
  • 1921 में पर्याप्त धन कमाने के बाद वो अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लन्दन चले गये. जहां उन्होंने लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री हासिल की.
  • 1923 में उन्हें लन्दन के बार एट ग्रेज इन में बुला लिया गया 2 वर्ष बाद उन्होंने इकोनॉमिक्स में डी.एस.सी की डिग्री ली. लॉ की डिग्री पूरी करने के बाद वो ब्रिटिश बार में बेरिस्टर बन गये.
  • 1921 तक अम्बेडकर प्रोफेशनल इकोनॉमिस्ट थे. उन्होंने हिल्टन यंग कमिशन में प्रभावशाली पेपर भी लिखे थे जिसमें रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया का आधार तैयार हुआ.
  • 1923 में उन्होंने “दी प्रोब्लम ऑफ़ रूपी,इट्स ओरिगिंस एंड सोल्यूशन में उन्होंने रूपये की प्राइस स्टेबिलिटी के महत्व को समझाया. उन्होंने ये भी बताया कि कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था को सफलता पुर्वक आगे ले जाया जा सकता हैं.
  • भारत लौटने पर उन्होंने देश के लिए लीगल प्रोफेशनल के रूप में काम करना शुरू कर दिया.
  • 1920 में तक उन्होंने अपने जाति के लोगों की हितों की रक्षा में काम करने के लिये सक्रिय कदम उठाने शुरू कर दिए. उन्होंने बहुत से विरोधी रैलियाँ,भाषण आयोजित किये, और लोगों को छुआछूत के खिलाफ आगे आने को प्रेरित किया और पब्लिक के लिए उपलब्ध टैंक से पानी पीने के अधिकार को समझाया,एवं प्रेरित किया उन्होंने मनु स्मृति को जलाया,जो कि जातिवाद का समर्थन करती थी.
  • 1924 में उन्होंने अस्पृश्यता और छुआछूत को पूरी तरह से समाप्त करने के लक्ष्य के साथ बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की. इस संस्था का मुख्य उद्देश्य पिछड़े वर्ग को शिक्षा उपलब्ध करवाना और सामजिक-आर्थिक प्रगति दिलाना था. इसका मुख्य सिद्धांत समाज को “शिक्षित, उत्साहित और व्यवस्थित करना था”.
  • 1925 में उन्हें ऑल-यूरोपियन साइमन कमिशन के अंतर्गत बोम्बे प्रेसिडेंसी कमिटी में चुना गया. कमिशन रिपोर्ट को कांग्रेस ने स्वीकार नही किया क्योंकि वो स्वतंत्र भारत के लिए अपना खुदका संविधान चाहती थी.

(Dr Bhimrao Ambedkar Political Career)

महाद सत्याग्रह (Mahad Satyagraha)

1927 में उन्होंने छुआछूत के खिलाफ बहुत से सक्रिय अभियान शुरू कर दिए, और अपना पूरा समय इसी लक्ष्य को देने लगे. उस समय दलितों के लिए विपरीत स्थितियां एवं समाज में व्याप्त असमानता के कारण मन में आक्रोश होते हुए भी हिंसा का मार्ग अपनाने के स्थान पर उन्होंने गांधीजी के मार्ग को अपनाया और सत्याग्रह अभियान के तहत छुआछुत के अधिकार, जल-स्त्रोत से पानी लेने और मन्दिर में घुसने की आज़ादी देने की वकालत की. अम्बेडकर ने महारष्ट्र के महाद में एक सत्याग्रह शुरू किया जिसे महाद सत्याग्रह के नाम से जाना जाता हैं. यह सत्याग्रह गांधीजी की दांडी मार्च के भी 3 साल पहले हुआ था,दलितों को पीने का पानी मिले ये इस सत्याग्रह का मुख्य उद्देश्य था. दलितों के कुछ लोगों के साथ समूह में उन्होंने महाद के चवदार झील में पानी पीया था,जो कि दलितों और शूद्रों के लिए निषेध की गयी थी. उन्होंने कहा कि हम चवदार झील पानी पीने के लिए नही जा रहे हैं बल्कि हम भी इंसान हैं इस कारण ये हमारा अधिकार हैं. इस सत्याग्रह का उद्देश्य यही हैं कि हमे समानता का धिकार मिल सके.

  • 1930 में वो 15,000 अछूत लोगों के साथ अहिंसा पूर्वक आंदोलन करते हुए कालाराम मंदिर गये.
  • 1932 में उनकी बढती लोकप्रियता को देखते हुए लन्दन में सेकंड राउंड टेबल कांफ्रेंस से निमंत्रण मिला. अम्बेडकर का विश्वास था कि अछूतों को न्याय तभी मिल सकता हिं जब उन्हें पृथक मतदाता बनाया जाये, अंग्रेज भी उनकी पृथक मतदाताओं (सेपरेट इलेक्टोरेट) की बात पर सहमत हो गये थे लेकिन महात्मा गांधी ने इस प्लान का विरोध किया. गांधीजी के उपवास शुरू करने पर हिन्दू समाज में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गयी, और अम्बेडकर कट्टर हिन्दू और दलित दो वर्गों में हिन्दुओं के विभाजन को देखते हुए गांधी की बात पर सहमत हुए और उन्होंने एक संधि की जिसे पूना पैक्ट कहा गया. जिसके अनुसार सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ स्टेट्स और क्षेत्रीय विधानसभा में  स्पेशल इलेक्टोरेट के स्थान पर पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की बात मानी गयी
  • वास्तव में अम्बेडकर भी स्वतन्त्रता चाहते थे लेकिन उनका मानना था कि ये काफी नहीं हैं कि हमे स्वराज मिले इसके साथ ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि स्वराज का लाभ प्रत्येक व्यक्ति को मिले.
  • 1935 में उन्हें गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त किया गया,जिस पर वो 2 साल तक रहे. इसके बाद उन्होंने एक स्वतंत्र मजदूर पार्टी की स्थापना की,और इस पार्टी ने 1937 में हुए बोम्बे इलेक्शन में ना केवल भाग लिया बल्कि 14 सीट भी जीती.
  • जैसे ही भारत स्वतंत्र हुआ उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी को अखिल भारतीय दलित जाति फेडरेशन (All India Scheduled Castes Federation) में बदल दिया. हालाकि पार्टी ने 1946 के भारत के कांस्टीट्युएन्सी असेंबली चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया
  • उन्होंने वायसरॉय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल में मजदूरों के मंत्री के रूप में काम किया. ये उनकी शिक्षा के प्रति लग्न,मेहनत और तीव्र बुद्धिमता का परिणाम था कि उन्हें स्वतंत्र भारत के कानून मंत्री बनने का और संविधान निर्माण का मौका मिला.
  • उनके बनाये संविधान के कारण देश में सामजिक असमानता की समाप्ति हुयी, इससे नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता मिली, अस्पृश्यता दूर हुयी, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा शुरू हुयी और नौकरी के लिए आरक्षण एवं शिक्षा का समान अधिकार देश के हर वर्ग को मिलने लगा
  • अम्बेडकर ने स्वतंत्र भारत में संविधान के निर्माता के रूप में मुख्य भूमिका तो निभाई ही थी इसके अलावा देश में वित्त आयोग की स्थापना में भी उन्होंने मदद की थी. उनकी बनाई नीतियों के कारण ही देश ने आर्थिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में प्रगति की. उन्होंने देश स्थिर और मुक्त अर्थव्यवस्था पर जोर दिया.
  • 1951 में, उनके द्वारा प्रस्तावित हिंदू संहिता विधेयक की अनिश्चितकालीन रोक के बाद, उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने लोकसभा में सीट के लिए चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. बाद में उन्हें राज्यसभा में नियुक्त किया गया, जिसमें से उनकी मृत्यु तक वह सदस्य थे. 

अम्बेडकर द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्य (Dr Bhimrao Ambedkar as Social reformer)        

  • अम्बेडकर को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान को तैयार करने में 2 साल और 11 महीने का समय लगा, उन्हें भारतीय संविधान का पिता भी कहा जाता है. डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय जानने के लिए यहाँ पढ़े 
  • अम्बेडकर ने उस समय उपलब्ध विभिन्न संविधानों पर शोध किया था, और 3 साल से कम समय में एक संविधान तैयार करना एक बड़ी उपलब्धि है.·        
  • भारत में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के अग्रदूत के रूप में पहचाने जाने वाले अम्बेडकर ने दामोदर घाटी परियोजना, भाखड़ा नंगल बांध परियोजना, सोन नदी घाटी परियोजना और हीराकुंड बांध परियोजना की शुरुआत की थी. ·        
  • उन्होंने केंद्रीय और राज्य स्तर दोनों में सिंचाई परियोजनाओं के विकास की सुविधा के लिए केंद्रीय जल आयोग की भी स्थापना की.·        
  • भारत के बिजली क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए, अम्बेडकर ने जल विद्युत और थर्मल पावर स्टेशनों की क्षमता का पता लगाने और स्थापित करने के लिए केंद्रीय तकनीकी पावर बोर्ड (सीटीपीबी) और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की भी स्थापना की. ·        
  • उन्होंने भारत में ग्रिड सिस्टम (जिसे भारत अभी भी निर्भर करता है) और प्रशिक्षित विद्युत इंजीनियरों की आवश्यकता पर बल दिया.·        
  • अम्बेडकर जब 1942 से लेकर 1946 के समय में  लेबर इन दी वायसराय काउंसिल में सदस्य (member for labour in the viceroy’s council from ) थे तब उन्होंने मजदूरों के उत्थान के लिए बहुत से कार्य किये,·        
  • उन्होंने नवम्बर 1942 में नई दिल्ली में हुए इंडियन लेबर कांफ्रेंस के सातवें सेशन में काम करने की अवधि 12 घंटे से कम करके 8 घंटे कर दी. ·        
  • उन्होंने ट्रेड यूनियन को भी मजबूत किया और पूरे भारत में रोजगार के आदान-प्रदान की संभावना विकसित की. ·        
  • इसके अलावा उन्होंने भारत के महिला श्रमिकों के लिए कई कानून बनाए,जिसमें खान मातृत्व लाभ, महिला श्रम कल्याण निधि, महिला और बाल, श्रम संरक्षण अधिनियम शामिल हैं.·        
  • जब भारत की संसद ने कोम्प्र्हेंसिव हिन्दू कोड बिल को नजरंदाज किया तो अम्बेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. वास्तव में ये बिल महिलाओं के सशक्तिकरण और  समानता के उद्देश्य से बनाया गया था. इस बिल के दो मुख्य उद्देश्य थे,पहला इसमें हिन्दू महिलाओं को उनका सम्मान और अधिकार दिलाना था और दूसरा उनका सामजिक उत्थान करना था. इस बिल के मुख्य बिंदु थे- महिला को अपनी पैतृक सम्पति में अधिकार मिल सकता हैं, और वो तलाक ले सकती हैं और लडकी गोद ले सकती हैं. यदि विवाह में स्थिरता नहीं हैं तो महिला और पुरुष दोनों ही तलाक लेने का अधिकार रखते हैं. विधवा और तलाकशुदा महिलाएँ पुनर्विवाह कर सकती हैं. बहूविवाह (पोलीगैमी) निषेध हैं, अंतरजातीय विवाह और किसी भी जाति के बच्चे को गोद लिया जा सकता हैं.   

अम्बेडकर का धर्म परिवर्तन (Dr. Ambedkar Buddhism and social change)

  • अम्बेडकर जब श्रीलंका गये तब वहाँ उन्होंने बुद्धिस्ट स्कॉलर के ज्ञान सूना और बुद्धिज्म पर एक किताब लिखी.  इसके बाद उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया और हिन्दु धर्म छोडकर बौद्ध धर्म अपना लिया. उन्होंने 1955 में भारतीय  बुद्ध महासभा की स्थापना की,और 1956 में अपनी किताब का काम पूरा किया जिसका नाम “दी बुद्धा एंड हिज धर्म” था. हालांकि ये किताब उनके मरणोपरांत प्रकाशित हुयी. सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय जानने के लिए यहाँ पढ़े 
  • जैसे ही उन्होंने बुद्ध धर्म अपनाया उनके पीछे 500,000 लोगों ने भी अपना धर्म बदल लिया, भारत में ये तब का सबसे बड़ा धर्म परिवर्तन था. उन्होंने बुद्ध के जन्मस्थान भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया.

अम्बेडकर द्वारा लिखी किताबें ( Books written by Dr. Ambedkar)

उन्होंने एक किताब दी एनिहिलेशन कास्ट (The Annihilation of Caste) प्रकाशित की,जिसमें उन्होंने हिन्दुओं की कुरीतियों और नेताओं की काफी भर्त्सना की. इसके बाद उन्होंने शुद्र कौन थे?? इस बात को समझाते हुए एक किताब लिखी.  अम्बेडकर द्वारा हिल्टन यंग कमिशन (जिसे भारतीय करेंसी और फाइनेंस पर बने रॉयल कमिशनके नाम से भी जाना जाता हैं)  को सौपी गयी गाइड लाइन के अनुसार रिजर्व बैंक का गठन हुआ था. यह सब उन्होंने अपनी किताब दी प्रोब्लम ऑफ़ दी रूपी-इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्यूशन में भी लिखा था. इसके अलावा भी निम्न किताबें अम्बेडकर ने लिखी थी

वर्षकिताब
1916कास्ट इन इंडिया: द्यर मेकेनिज्म,जेनेसिस एंड डेवलपमेंट
1920मूक नायक
1923दी प्रोब्लम ऑफ़ दी रुपया:इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्यूशन
1927बहिष्कृत भारत
1930जनता (साप्ताहिक)
1936दी एनहिलेशन ऑफ़ कास्ट
1939फेडरेशन वर्सेज फ्रीडम
1940थॉट्स ऑन पाकिस्तान
1943रानाडे,गाँधी और जिन्ना
1943मिस्टर गांधी एंड इमेंसीपेशन ऑफ़ अनटचेबल
1945व्हाट कांग्रेस एंड गाँधी हेव डन टू दी अनटचेबल्स
1945पाकिस्तान या भारत का विभाजन
1947स्टेट्स ऑफ़ माइनोरिटी
1948हु आर शुद्र
1948महारष्ट्र एज अ लिंग्विस्टिक प्रोविंस
1956बुद्धा या कार्ल मार्क्स
1957दी बुड्ढा एंड हिज धम्मा
2008रिडल्स इन हिन्दुइज्म
मनु एंड दी शुद्र

 अम्बेडकर यह भी जानते थे कि रुपये की समस्या अंततः घरेलू मुद्रास्फीति की समस्या से जुड़ी हुई है. अपने थीसिस के पुस्तक संस्करण की प्रस्तावना में, उन्होंने लिखा भी था  “रुपये को तब तक स्थिर नहीं किया जाएगा जब तक कि हम इसकी सामान्य क्रय शक्ति को स्थिर न करें”.  जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय जानने के लिए यहाँ पढ़े 

अम्बेडकर से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting Facts About Dr Ambedkar) ·        

  • 1935-36 में जब अम्बेडकर अमेरिका और यूरोप से लौटे तो उन्होंने 20 पेज की एक ऑटोबायोग्राफी लिखी. “वेटिंग फॉर वीजा” एक किताब थी जिसमें उन्होंने अपने बचपन के छुआछूत  के अनुभवों को लिखा था. कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में किताब को टेक्स्टबुक के रूप में काम में लिया गया.·        
  • अम्बेडकर ने संविधान में 370 की धारा का विरोध किया था जो कि जम्मू कश्मर को विशेष राज्य का दर्जा देती थी. उन्होंने साफ़ कहा था कि ये राष्ट्र की एकता और संप्रभुता के विरुद्ध हैं. अंतत: गोपलस्वामी अय्यंगार ने तैयार किया था.·        
  • डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर भारत के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होने विदेश से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की डिग्री ली और वो एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनका लन्दन म्यूजियम में कार्ल मार्क्स के साथ स्टेच्यु लगा हैं. ·        
  • अम्बेडकर ने ना केवल स्वतंत्रता के पहले देश के गठन में  मुख्य भूमिका निभाई बल्कि उनकी दूरदर्शिता और विचारों का लाभ स्वतंत्रता के बाद भी कई वर्षों तक देश को मिला. इसे ऐसे समझा जा सकता हैं कि जहां तिरंगे में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी अम्बेडकर को जाता हैं वही स्वतंत्रता के 45 वर्षों बाद 2000 में बिहार और मध्यप्रदेश से झारखंड और छत्तिसगढ बनने के पीछे भी उनके द्वारा दिया गया सुझाव ही हैं. वास्तव में 1955 में प्रकाशित किताब “थॉट्स ऑन लिंग्विस्टक स्टेट्स (भाषायी आधार पर राज्य का गठन) मध्यप्रदेश और बिहार को अलग करने का सुझाव दिया था.·        
  • 2016 में एनडीए मोदी सरकार का नोटबंदी का निर्णय भी अम्बेडकर की किताब “प्रोब्लम ऑफ़ रूपी” (Problem of Rupee) से प्रेरित था,जो कि अम्बेडकर की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में शामिल हैं. 

मृत्यु (Ambedkar’s Death)

जीवन के अंतिम वर्षों में भीमराव का स्वास्थ खराब रहने लगा था. 1948 में उन्हें डायबिटीज हो गयी जिसके कारण आँखों की रोशनी भी कम होने लगी. डायबिटीज और खराब स्वास्थ से जूझते हुए उन्होंने 6 दिसम्बर 1956 को नींद में अंतिम सांस ली. मृत्यु से पहले ही वो हिन्दू धर्म छोडकर बौद्ध धर्म अपना चुके थे इसलिए उनका अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के अनुसार किया गया जिसमें हजारों की संख्या में उनके समर्थक और अनुयायी शामिल हुए. 1990 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रतन दिया गया.

धरोहर (Ambedkar Legacy)

  • उनके जन्मदिन पर सरकारी अवकाश होता है, इस दिन को अम्बेडकर जयंती या भीम जयंती  कर रूप में जाना जाता हैं. अम्बेडकर के दिल्ली के 26,अलीपुर रोड वाले घर में मेमोरियल की स्थापना की गयी हैं. नागपुर में उनके नाम पर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं,इसके अलावा पूरे देश में उनके नाम पर विश्वविद्यालय,अस्पताल,ब्रिज,स्कूल,चौराहे,सडक इत्यादि भी हैं.
  • हिन्दू धर्म के विरोध के कारण उन्हें बहुत वर्षों तक विरोध का सामना भी करना पड़ा था लेकिन 2012 में हिस्ट्री टीवी और सीएनएन आईबीएन द्वारा आयोजित नेशनल पोल में उन्हें ग्रेटेस्ट इंडियन के लिए नामांकित किया गया,उन्हें 20 लाख के पास वोट मिले.
  • उन्होंने इकोनॉमिक्स में भी काफी अच्छा काम किया था. नोबल प्राइज विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दिए गये उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता हैं.

अम्बेडकर के सुविचार (Dr Ambedkar Quotes, Slogan in hindi)

  • मैं समाज की प्रगति का मानक उसमें रहने वाली महिलाओं की प्रगति को मानता हूँ
  • यदि मैंने देखा कि संविधान का गलत उपयोग हो रहा हैं,तो मैं ही वो पहला व्यक्ति होऊंगा जो इसे जला देगा.
  • पति-पत्नी के मध्य दोस्ती का सम्बंध होना चाहिए.
  • जो धर्म स्वतंत्रता, समानता और बंधुता सिखाता हैं, मुझे वो धर्म पसंद हैं.
  • जरूरी नही कि जीवन लम्बा हो,जरूरी हैं कि जीवन महान हो.
  • हालांकि मेरा जन्म हिन्दू के रूप में हुआ हैं लेकिन मैं ये सुनिश्चित करूंगा कि हिन्दू के रूप में ना मरुँ.
  • मनुष्य के लिए धर्म हैं,धर्म के लिए मनुष्य नहीं हैं.

 अम्बेडकर ने भारत को सभ्यता,संस्कृति में परिवर्तन के अलावा राजनीति और समाजिक परिप्रेक्ष्य में भी अमूल्य दरोहर प्रदान की हैं. उन्होंने समानता के अधिकार को सम्विधान में स्थान देकर भारत में सामजिक विकास के  एक नये अध्याय की शुरुआत की हैं

SOURCE:https://www.jivaniitihashindi.com/dr-bhim-rao-ambedkar-biography-%E0%A4%A1%E0%A5%89-%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0/

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