Kendriya Vidyalaya BSF Chakur was established in 2010. The total no. of students is 800+ and staff of 33 members. Library of KV BSF Chakur, total collection is 3494 books including CDs, DVDs other reading materials, etc.
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Friday, 26 January 2024
Tuesday, 23 January 2024
Participate in the Quiz And Earn Certificate of Appreciation from Govt. Of India
Let's Celebrate PARAKRAM DIWAS
Participate in the Quiz And Earn a Certificate of Appreciation from Govt. Of India
About Quiz
Commemorating 75th year of India as Republic is a historical moment that earmarks the day on which India adopted its Constitution, the fundamental law of the land. On this occasion, it is important we organize a quiz with the theme titled “Quiz Samvidhan” for citizens which would not only familiarize and educate but at the same time test their knowledge of constitutional principles, key facts about the making of the Constitution, fundamental rights and fundamental duties, insights into the structure and functioning of the three organs of the State – Executive, Judiciary and Legislature etc. This informative and engaging quiz is available in both English and Hindi, ensuring accessibility for a wider audience.
During this quiz, top 1000 entries would be selected who would give the highest correct answers in minimum time. These 1000 winners would be given Rs 1000 each at the end of the competition. The top three entries will be duly acknowledged by Department of Justice.
भारत के गणतंत्र के 75वें वर्ष को मनाना एक ऐतिहासिक क्षण है जो उस दिन को चिह्नित करता है जिस दिन भारत ने अपने संविधान, देश के मौलिक कानून को अपनाया था। इस अवसर पर, यह महत्वपूर्ण है कि हम नागरिकों के लिए “प्रश्नोत्तरी संविधान” विषय पर एक प्रश्नोत्तरी का आयोजन करें जो न केवल परिचित और शिक्षित करेगी बल्कि साथ ही संवैधानिक सिद्धांतों, संविधान के निर्माण के बारे में मुख्य तथ्यों, मौलिक ज्ञान के बारे में उनके ज्ञान का परीक्षण करेगी। अधिकार और मौलिक कर्तव्य, राज्य के तीन अंगों – कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका आदि की संरचना और कार्यप्रणाली में अंतर्दृष्टि। यह जानकारीपूर्ण और आकर्षक प्रश्नोत्तरी अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उपलब्ध है, जो व्यापक दर्शकों के लिए पहुंच सुनिश्चित करती है।
इस प्रश्नोत्तरी के दौरान, उच्चतम 1000 प्रविष्टियों का चयन किया जाएगा जो न्यूनतम समय में सबसे अधिक सही उत्तर देंगे। इन 1000 विजेताओं को प्रतियोगिता के अंत में प्रत्येक को 1000 रुपये दिए जाएंगे। शीर्ष तीन प्रविष्टियों को न्याय विभाग द्वारा विधिवत स्वीकार किया जाएगा।
Terms and Conditions
1. Entry to the Quiz is open to all Indian citizens/ क्विज़ में प्रवेश सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुला है।
2. This is a timed quiz with 20 questions to be answered in 5mins (300s) / यह एक समयबद्ध क्विज़ है जिसमें 20 प्रश्नों के उत्तर 5 mins (300 seconds) देने हैं।
3. The participants who fetch the maximum number of correct answers in the minimum time will be declared the winner. In case of tie, consideration would be given to person who scores in less time. In case of tie in both score and duration, the one attempted earlier will be considered/ न्यूनतम समय में अधिकतम सही उत्तर प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को विजेता घोषित किया जाएगा। बराबरी के मामले में, कम समय में स्कोर करने वाले व्यक्ति पर विचार किया जाएगा। स्कोर और अवधि दोनों में समान होने की स्थिति में, पहले प्रयास करने वाले व्यक्ति का चयन किया जाएगा
4. The organizer’s decision on the Quiz shall be final and binding/ क्विज़ पर आयोजकों का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा।
5. Multiple entries from the same participant will not be accepted. / एक ही प्रतिभागी की एक से अधिक प्रविष्टियां स्वीकार नहीं की जाएंगी।
6. You will be required to provide your name, email address, telephone number, and postal address. By submitting your contact details, you will give consent to these details being used for the purpose of the Quiz/ आपको अपना नाम, ईमेल पता, टेलीफोन नंबर और डाक पता प्रदान करना आवश्यक होगा। अपना संपर्क विवरण जमा करके, आप क्विज़ के प्रयोजन के लिए इन विवरणों का उपयोग करने के लिए सहमति देंगे
7. There will be no negative marking/ कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी।
8. The quiz will start as soon as the participant clicks the Start Quiz button/ जैसे ही प्रतिभागी स्टार्ट क्विज़ बटन पर क्लिक करेगा, क्विज़ शुरू हो जाएगा।
9. Organizers will not accept any responsibility for entries that are lost, are late or incomplete or have not been transmitted due to computer error or any other error beyond the organizer’s reasonable control. Please note proof of submission of the entry is not proof of receipt of the same/ आयोजक उन प्रविष्टियों के लिए कोई जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करेंगे जो खो गई हैं, देर से आई हैं या अधूरी हैं या कंप्यूटर त्रुटि या आयोजक के उचित नियंत्रण से परे किसी अन्य त्रुटि के कारण प्रसारित नहीं हुई हैं। कृपया ध्यान दें कि प्रविष्टि जमा करने का प्रमाण उसकी प्राप्ति का प्रमाण नहीं है
10. In the event of unforeseen circumstances, organizers reserve the right to amend or withdraw the Quiz at any time. For the avoidance of doubt this includes the right to amend these terms and conditions/अप्रत्याशित परिस्थितियों की स्थिति में, आयोजक किसी भी समय क्विज़ में संशोधन करने या वापस
11. All disputes/ legal complaints are subject to the jurisdiction of Delhi only. Expenses incurred for this purpose will be borne by the parties themselves. / सभी विवाद/कानूनी शिकायतें केवल दिल्ली के अधिकार क्षेत्र के अधीन हैं। इस उद्देश्य के लिए किए गए खर्च पक्षों द्वारा स्वयं वहन किए जाएंगे।
12. The Ministry of Law and Justice will disburse the winning amount/ rewards to the selected winner(s). / विधि और न्याय मंत्रालय चयनित विजेताओं को विजेता राशि/पुरस्कार वितरित करेगा।
13. By entering the Quiz, the Participant accepts and agrees to be bound by these Terms and Conditions, mentioned above. / प्रश्नोत्तरी में प्रवेश करके, प्रतिभागी ऊपर उल्लिखित इन नियमों और शर्तों से बाध्य होने के लिए स्वीकार करता है और सहमत होता है।
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23 जनवरी को पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारतीय राष्ट्रीय सेना
- जुलाई 1943 में वे जर्मनी से जापान-नियंत्रित सिंगापुर(singapur) पहुंचे, जहां उन्होंने अपना प्रसिध्द नारा “दिल्ली चलो” जारी किया और 21 अक्टूबर 1943 को ‘आजाद हिंद सरकार’ तथा ‘भारतीय राष्ट्रीय सेना’ के गठन की घोषणा की।
- भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन पहली बार मोहन सिंह और जापानी मेजर इविची फुजिवारा के नेतृत्व में कियागया था तथा इसमें मलायन अभियान के दौरान सिंगापुर में जापान द्वारी कैद किए गए ब्रिटिश-भारतीय सेना के युध्द बंदियों को शामिल किया गया था।
- साथ ही इसमें सिंगापुर की जेल में बंद भारतीय कैदी और दक्षिण-पूर्व एशियाके भारतीय नागरिक भी शामिल थे। इसकीसैन्य संख्या बढ़कर 50,000 हो गई थी।
- INA ने साल 1944 में इम्फाल Imphal और बर्मा में भारत की सीमा के भीतर मित्र देशों की सेनाओं का मुकाबला किया।
- नवंबर 1945 में ब्रिटिश सरकार द्वारा INA के सदस्यों पर मुकदमा चलाए जाने के तुरंत बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।
- Source:https://easyhindi.in/events/parakram-diwas/
Monday, 22 January 2024
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की की जीवनी “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”
Netaji Subhash Chandra Bose Biography: आजादी की बात हो और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जिक्र ना हो, ऐसा भला हो सकता है क्या, सुभाष चंद्र बोस केवल एक इंसान का नाम नहीं है बल्कि ये नाम है उस वीर का, जिनकी रगों में केवल देशभक्ति का खून बहता था। बोस भारत मां के उन वीर सपूतों में से एक हैं, जिनका कर्ज आजाद भारतवासी कभी नहीं चुका सकते हैं।
"पराक्रम दिवस" (नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती) पर आधारित ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी
केंद्रीय विद्यालय दक्षिण कमान पुस्तकालय पुणे "पराक्रम दिवस" के अन्तर्गत के. वि. द. क. पुस्तकालय पाठक संघ ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया हैं।
इस प्रश्नोत्तरी के सभी प्रश्नों के अंक समान हैं, आजादी के अमृत महोत्सव मे एक महान क्रांतिकारी, सेनानायक, राष्ट्रभक्त के जीवन के विषय में जाने व उनके जीवन से प्रेरणा भी प्राप्त करें I
Online Quiz on “Parakram Diwas” (Birthday of Netaji Subhash Chandra Bose)
Kendriya Vidyalaya Southern Command Library Pune "Parakram Diwas". Library Reader’s Club has organized an Online Quiz.
Smt. Sucheta Chandanshive,
Librarian
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सुभाष चंद्र बोस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) एक उग्र राष्ट्रवादी थे, जिनकी उद्दंड देशभक्ति ने उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक बना दिया। उन्हें भारतीय सेना को ब्रिटिश भारतीय सेना से एक अलग इकाई के रूप में स्थापित करने का श्रेय भी दिया गया जिसने स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाने में मदद की।
जीवनकाल
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस (Prabhavati Dutt Bose) और पिता का नाम जानकीनाथ बोस (Janakinath Bose) था।
अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल (Ravenshaw Collegiate School) में दाखिला लिया। उसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज (Presidency College) कोलकाता में प्रवेश लिया परंतु उनकी उग्र राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण उन्हें वहाँ से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) चले गए।
वर्ष 1919 में बोस भारतीय सिविल सेवा (Indian Civil Services- ICS) परीक्षा की तैयारी करने के लिये लंदन चले गए और वहाँ उनका चयन भी हो गया। हालाँकि बोस ने सिविल सेवा से त्यागपत्र दे दिया क्योंकि उनका मानना था कि वह अंग्रेज़ों के साथ कार्य नहीं कर सकते।
सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे, जबकि चितरंजन दास (Chittaranjan Das) उनके राजनीतिक गुरु थे।
वर्ष 1921 में बोस ने चित्तरंजन दास की स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र 'फॉरवर्ड' के संपादन का कार्यभार संभाला।
वर्ष 1923 में बोस को अखिल भारतीय युवा कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष और साथ ही बंगाल राज्य कॉन्ग्रेस का सचिव चुना गया।
वर्ष 1925 में क्रांतिकारी आंदोलनों से संबंधित होने के कारण उन्हें माण्डले (Mandalay) कारागार में भेज दिया गया जहाँ वह तपेदिक की बीमारी से ग्रसित हो गए ।
वर्ष 1930 के दशक के मध्य में बोस ने यूरोप की यात्रा की। उन्होंने पहले शोध किया तत्पश्चात् ‘द इंडियन स्ट्रगल’ नामक पुस्तक का पहला भाग लिखा, जिसमें उन्होंने वर्ष 1920-1934 के दौरान होने वाले देश के सभी स्वतंत्रता आंदोलनों को कवर किया।
बोस ने वर्ष 1938 (हरिपुरा) में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। यह नीति गांधीवादी विचारों के अनुकूल नहीं थी।
वर्ष 1939 (त्रिपुरी) में बोस फिर से अध्यक्ष चुने गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया और कॉन्ग्रेस के भीतर एक गुट ‘ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया, जिसका उद्देश्य राजनीतिक वाम को मज़बूत करना था।
18 अगस्त, 1945 को जापान शासित फॉर्मोसा (Japanese ruled Formosa) (अब ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
सीआर. दास के साथ संबंध: वह सीआर. दास (Chittaranjan Das) के साथ राजनीतिक गतिविधियों में संलग्न थे और उनके साथ जेल भी गए। जब सीआर. दास को कलकत्ता को-ऑपरेशन का मेयर चुना गया तो उन्होंने बोस को मुख्य कार्यकारी नामित किया था। उन्हें वर्ष 1924 में उनकी राजनीतिक गतिविधियों के लिये गिरफ्तार किया गया था।
ट्रेड यूनियन आंदोलन: उन्होंने युवाओं को संगठित किया और ट्रेड यूनियन आंदोलन को बढ़ावा दिया। वर्ष 1930 में उन्हें कलकत्ता का मेयर चुना गया, उसी वर्ष उन्हें अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कॉन्ग्रेस (All India Trade Union Congress- AITUC) का अध्यक्ष भी चुना गया।
कॉन्ग्रेस के साथ संबंध: उन्होंने बिना शर्त स्वराज (Unqualified Swaraj) अर्थात् स्वतंत्रता का समर्थन किया और मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट (Motilal Nehru Report) का विरोध किया जिसमें भारत के लिये डोमिनियन के दर्जे की बात कही गई थी।
उन्होंने वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया और वर्ष 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के निलंबन तथा गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया।
वर्ष 1930 के दशक में वह जवाहरलाल नेहरू और एम.एन. रॉय के साथ कॉन्ग्रेस की वाम राजनीति में संलग्न रहे।
वाम समूह के प्रयास के कारण कॉन्ग्रेस ने वर्ष 1931 में कराची में दूरगामी कट्टरपंथी प्रस्ताव पारित किये, जिसने मुख्य कॉन्ग्रेस लक्ष्य को मौलिक अधिकारों की गारंटी देने के अलावा उत्पादन के साधनों के समाजीकरण के रूप में घोषित किया।
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष: बोस वर्ष 1938 में हरिपुरा में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
वर्ष 1939 में त्रिपुरी (Tripuri) में उन्होंने गांधी जी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैय्या (Pattabhi Sitarammayya) के खिलाफ फिर से अध्यक्ष पद का चुनाव जीता।
गांधी जी से साथ वैचारिक मतभेद के कारण बोस ने कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया।
इसका उद्देश्य उनके गृह राज्य बंगाल में वाम राजनीतिक और प्रमुख समर्थन आधार को समेकित करना था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन: जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो उन्हें फिर से सविनय अवज्ञा में भाग लेने के कारण कैद कर लिया गया और कोलकाता में नज़रबंद कर दिया गया।
भारतीय राष्ट्रीय सेना: बोस ने पेशावर और अफगानिस्तान के रास्ते बर्लिन भागने का प्रबंध किया। वह जापान से बर्मा पहुँचे और वहाँ भारतीय राष्ट्रीय सेना को संगठित किया ताकि जापान की मदद से भारत को आज़ाद कराया जा सके।
उन्होंने 'जय हिंद' और 'दिल्ली चलो' जैसे प्रसिद्ध नारे दिये। अपने सपनों को साकार करने से पहले एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
आज़ाद हिंद
भारतीय सेना: बोस ने बर्लिन में स्वतंत्र भारत केंद्र की स्थापना की और युद्ध के लिये भारतीय कैदियों से भारतीय सेना का गठन किया, जिन्होंने एक्सिस शक्तियों (धुरी राष्ट्र- जर्मनी इटली और जापान) द्वारा बंदी बनाए जाने से पहले उत्तरी अफ्रीका में अंग्रेज़ों के लिये लड़ाई लड़ी थी।
यूरोप में बोस ने भारत की आज़ादी के लिये हिटलर और मुसोलिनी से मदद मांगी।
आज़ाद हिंद रेडियो का आरंभ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्त्व में 1942 में जर्मनी में किया गया था। इस रेडियो का उद्देश्य भारतीयों को अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता प्राप्त करने हेतु संघर्ष करने के लिये प्रचार-प्रसार करना था।
इस रेडियो पर बोस ने 6 जुलाई, 1944 को महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' के रूप में संबोधित किया।
भारतीय राष्ट्रीय सेना: वह जुलाई 1943 में जर्मनी से जापान-नियंत्रित सिंगापुर पहुँचे वहाँ से उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा ‘दिल्ली चलो’ जारी किया और 21 अक्तूबर, 1943 को आज़ाद हिंद सरकार तथा भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन की घोषणा की।
INA का गठन पहली बार मोहन सिंह (Mohan Singh) और जापानी मेजर इविची फुजिवारा (Iwaichi Fujiwara) के नेतृत्त्व में किया गया था तथा इसमें मलायन (वर्तमान मलेशिया) अभियान में सिंगापुर में जापान द्वारा कब्जा किये गए ब्रिटिश-भारतीय सेना के युद्ध के भारतीय कैदियों को शामिल किया गया था।
INA में सिंगापुर के जेल में बंद भारतीय कैदी और दक्षिण-पूर्व एशिया के भारतीय नागरिक दोनों शामिल थे। इसकी सैन्य संख्या बढ़कर 50,000 हो गई।
INA ने वर्ष 1944 में इम्फाल और बर्मा में भारत की सीमा के भीतर संबद्ध सेनाओं का मुकाबला किया।
हालाँकि रंगून के पतन के साथ ही आजाद हिंद सरकार एक प्रभावी राजनीतिक इकाई बन गई।
नवंबर 1945 में ब्रिटिश सरकार द्वारा INA के लोगों पर मुकदमा चलाए जाने के तुरंत बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।
प्रभाव: INA के अनुभव ने वर्ष 1945-46 के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना में असंतोष की लहर पैदा की, जिसकी परिणति फरवरी 1946 में बॉम्बे के नौसैनिक विद्रोह के रूप में हुई जिसने ब्रिटिश सरकार को जल्द-से-जल्द भारत छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया।
I.N.A की संरचना: INA अनिवार्य रूप से गैर-सांप्रदायिक संगठन था, क्योंकि इसके अधिकारियों और रैंकों में मुस्लिम काफी संख्या में थे और इसने झांसी की रानी के नाम पर एक महिला टुकड़ी की भी शुरुआत की।
Source: https://www.drishtiias.com/hindi/to-the-points/paper1/subhash-chandra-bose
Parakram Diwas:23 जनवरी को पराक्रम दिवस क्यों मनाते हैं ...
भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस का नाता पराक्रम दिवस से है। हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है। यह दिन साहस को सलाम करने का है। पराक्रम दिवस के मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। बच्चों को स्कूल-काॅलेज में इस दिन का महत्व बताया जाता है और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की याद को ताजा किया जाता है। पराक्रम दिवस मनाने की खास वजह है। इस दिन का संबंध सुभाष चंद्र बोस है। इस दिन सुभाष चंद्र बोस को नमन किया जाता है और उनके योगदान को याद करते हैं।
सुभाष चंद्र बोस ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए अहम भूमिका निभाई थी। उनका पूरा जीवन ही साहस व पराक्रम की कहानी है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने नारा दिया था, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'। इस नारे ने भारतीयों के दिलों में आजादी की मांग को लेकर जल रही आग को और अधिक तेज कर दिया था। पराक्रम दिवस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाता और 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाने की वजह जानिए।
पराक्रम दिवस का इतिहास
प्रतिवर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2021 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। भारत सरकार की घोषणा के बाद हर साल पराक्रम दिवस 23 जनवरी को मनाया जाने लगा।
पराक्रम दिवस- 2024 उत्सव: लाल किलाइतिहास और सांस्कृतिक झलकियों का प्रदर्शनकरेगा 23 जनवरी को प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे
पराक्रम दिवस-2024 के अवसर परदिल्ली के लाल किले में ऐतिहासिक प्रतिबिंबों और जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को एक साथ जोड़ते हुए एक बहुआयामी उत्सव मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 जनवरी की शाम को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे और यह उत्सव 31 जनवरी तक जारी रहेगा।
इस बड़े उत्सव का आयोजन संस्कृति मंत्रालय की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, साहित्य अकादमी और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार जैसे अपने सहयोगी संस्थानों की सहभागिता में किया जा रहा है। इस उत्सव के एक हिस्से के तहत यहकार्यक्रम गतिविधियों की एक समृद्ध श्रृंखला की मेजबानी करेगा, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की समृद्ध विरासत को सामने लाएगी।
लाल किले की नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका है। लाल किले के परिसर में एक संग्रहालय बोस और आईएनए की विरासत को संरक्षित व सम्मान देने के लिए समर्पित है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री मोदी ने साल 2019 में नेताजी के जन्मदिन के अवसर पर किया था। कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों और कर्नल शाहनवाज खान के नाम इतिहास में लाल किला ट्रायल में प्रमुख व्यक्तियों के रूप में दर्ज हैं। भारत की आजादी को लेकर उनकी प्रतिबद्धता के कारण कुख्यात लाल किला बैरक मामला सामने आया था।यह एक ऐतिहासिक मामला था, जिसने आजाद हिंद फौज के अटूट संकल्प को प्रदर्शित किया।
इस कार्यक्रम के दौरानप्रतिष्ठित लाल किले को पृष्ठभूमि में एक प्रोजेक्शन मैपिंग शो के माध्यम से एक कैनवास में बदल दिया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के कलाकार मंच पर प्रदर्शन करेंगे औरइसकी दीवारों को इतिहास व कला के एक आश्चर्यजनक संयोजन में बहादुरी और बलिदान की कहानियों से रोशन किया जाएगा। साथ ही, भारतीय राष्ट्रीय सेना के दिग्गजों को विशेष सम्मान दिया जाएगा।
इस कार्यक्रम में आगंतुक लाल किले में नेताजी और आजाद हिंद फौज की उल्लेखनीय यात्रा का विवरण देने वाली दुर्लभ तस्वीरों व दस्तावेजों को प्रदर्शित करते हुए अभिलेखागार की प्रदर्शनियों के जरिए एक समृद्ध अनुभव प्राप्त करेंगे। इसके अलावापेंटिंग और मूर्तिकला कार्यशालाएं व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेंगी, आधुनिक तकनीक एआर और वीआर प्रदर्शनी के साथ केंद्रीय स्तर पर होगी, जो ऐतिहासिक घटनाओं पर एक अद्वितीय और संवादात्मक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करेगी।
इस कार्यक्रम के दौरान आगंतुकों के लिए प्रवेश निःशुल्क रहेगा।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में साल 2021 से हर साल पराक्रम दिवस मनाया जाता है। साल 2021 मेंउद्घाटन समारोह कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में हुआ। साल 2022 में इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया। वहीं, 2023 मेंअंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नाम 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर रखा गया। साथ ही, नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के एक मॉडल का अनावरण किया गया, जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर स्थापित किया जाना था।
पराक्रम दिवस- 2024 कार्यक्रम के दौरानप्रधानमंत्री गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के साथ देश की विविधता को प्रदर्शित करने के लिए पर्यटन मंत्रालय की ओर से आयोजित किए जा रहे 'भारत पर्व' की डिजिटल रूप से शुरुआत भी करेंगे। 23 से 31 जनवरी, 2024 तक चलने वाले नौ दिवसीय कार्यक्रम में 26 मंत्रालय और विभाग नागरिक केंद्रित पहल, वोकल फॉर लोकल और विविध पर्यटक आकर्षणों को रेखांकित करेंगे। यह पूरे विश्व के लोगों को शामिल करने और राष्ट्र की पुनरुत्थान की भावना कोप्रतिबिंबित करने व उत्सव मनाने के लिए एक मंच होगा। इसका आयोजन लाल किले के सामने राम लीला मैदान और माधव दास पार्क में होगा।
Parakram Diwas 2024: कब और क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस, जानें क्या है सुभाष चंद्र बोस से इसका नाता
Parakram Diwas 2024: हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है। लेकिन, इसे सेलिब्रेट किए जाने के पीछे क्या इतिहास है और कैसे यह स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा है, आइए जानते हैं
Parakram Diwas 2024: भारत का इतिहास पराक्रमी सेना के वीर जवानों की कहानी से भरा रहा है। भारत का पराक्रम देख पूरी दुनिया सहम जाती है। ऐसे में सेना के सम्मान को बढ़ाने के लिए हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है। पराक्रम दिवस को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म जयंत के रूप में मनाया जाता है। हालांकि पहले उनके जन्म दिवस के मौके पर किसी तरह का आयोजन नहीं किया जाता था लेकिन भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में इस दिन को खास बनाने का ऐलान करते हुए हर साल पराक्रम दिवस मनाने की घोषणा की।
क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस ( Why Parakram Diwas Is Celebrated)
पराक्रम दिवस मनाकर पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता है और उनके योगदानों को याद करता है। सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी के जंग में उनका ओजस्वी नारा ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादू दूंगा’ ने पूरे देश में हर भारतीय के खून में उबाल ला दिया था और आजादी की जंग में एक नई जान फूंक दी थी। भारत माता के इसी वीर सपूत के जन्म दिवस को याद करते हुए हम पराक्रम दिवस मनाते हैं। इस दिन स्कूल कॉलेज में नेताजी को लेकर नाटक का भी आयोजन किया जाता है। वहीं बच्चों को नेताजी के जीवन और उनके स्पीच के बारे में जानकारी दी जाती है। जिसकी मदद से वह अपने भविष्य की राह आसान बनाते हैं।
युवाओं के आदर्श हैं सुभाष चंद्र बोस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपना पूरा जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीव भारत के युवाओं के लिए एक आदर्श की तरह है। उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़ दिया था और इंग्लैंड से भारत वापस लौट आए थे। भारत में स्वतंत्रता आदोलन की लड़ाई को तेज करने के लिए उन्होंने आजाद हिंद सरकार, आजाद हिंद फौज और आजाद हिंद बैंक का बनाया था। उन्हें इसमें कई देशों का साथ भी मिला था। आजादी के जंग में उनकी इसी जज्बे को याद करते हुए हर साल पराक्रम दिवस देश में मनाया जाता है।
Source: https://www.herzindagi.com/hindi/society-culture/why-is-parakram-diwas-2024-celebrated-on-23-january-related-to-subhash-chandra-bose-article-263669
Subhash Chandra Bose Jayanti 2024: पराक्रम दिवस के रूप में क्यों मनाई जाती है नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती, पढ़ें रोचक तथ्य
नेताजी सुभास चंद्र बोस भारत के महान क्रन्तिकारी थे। उन्होंने भारत की आजादी के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया और साथ ही आजाद हिन्द फौज की स्थापना की। नेताजी द्वारा देश की आजादी के लिए किये गए अभूतपूर्व योगदान के लिए और उनको नमन करने के लिए प्रतिवर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। भारत के महान क्रांतिकारी, विभिन्न आंदोलनों के अगुआकार नेताजी की उपाधि प्राप्त करने वाले सुभाष चंद्र बोस को सम्मान और उनके पराक्रम को सराहने के लिए प्रतिवर्ष 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती के रूप में मनाया जाता है। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में बंगाली परिवार में हुआ था।नेताजी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका को निभाया और युवाओं में आजादी के लिए लड़ने का जज्बा पैदा किया। नेताजी ने आजादी के लिए जय हिन्द, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, चलो दिल्ली जैसे नारे दिए जिन्होंने युवाओं में आजादी के लिए प्रेरणा का काम किया। आजादी के लिए उनके द्वारा किये गए संघर्ष को नमन करने के लिए उनकी जयंती को प्रतिवर्ष मनाया जाता जाता है।
2021 से पराक्रम दिवस के रूप में हुई शुरुआत
पहले इस दिन को सुभाष चंद्र जयंती के नाम से सेलिब्रेट किया जाता था लेकिन वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को नेताजी के योगदान को देखते हुए पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसके बाद से प्रतिवर्ष नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े रोचक तथ्य
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ था।
- इस वर्ष नेताजी की की 127वीं जयंती सेलिब्रेट की जा रही है।
- नेताजी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था।
- नेताजी ने आजाद हिन्द फौज की स्थापना की थी।
- नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में मानी जाती है लेकिन इसका कोई पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है।
- नेताजी ने सन 1920 में इंग्लैंड में सिविल सर्विस पास की थी जिसमें उन्होंने चौथी रैंक हासिल की थी।
- देश की आजादी के लिए उन्होंने इस पद का त्याग कर दिया और आंदोलन में कूद पड़े।
- Source: https://www.jagran.com/news/education-subhash-chandra-bose-jayanti-2024-why-netaji-subhash-chandra-bose-jayanti-is-celebrated-as-bravery-day-read-interesting-facts-23635755.html
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