S Ramakrishnan Biography in Hindi – कहते हैं कि अगर कुछ कर दिखाने का जुनून हो तो पैरों में कितने भी छाले पड़ जाये, कोई फर्क पड़ता है| आज इस कहावत को सच कर दिखाया है पद्मश्री एस. रामाकृष्णन ने| शरीर पर कई गंभीर चोटे आने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और सबके लिए एक मिसाल बन गए। वह ‘अमर सेवा संगम‘ संस्थान चलाते हैं जो शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग लोगों की मद्द करता है| तो चलिए आपको सोशल वर्कर रामाकृष्णन की सफलता की कहानी के बारे में बताते हैं|
S Ramakrishnan biography in hindi – S Ramakrishnan social worker biography
एस. रामाकृष्णन सामाजिक कार्यकर्ता का जीवन
- अमर सेवा संगम के संस्थापक एस रामाकृष्णन का जन्म 6 मई 1954 को तमिलनाडु के सेलम में हुआ| ये तीन भाई और एक बहन हैं|
- एस रामाकृष्णन ने स्कूली शिक्षा तंजावुर से पूरी की और बाद में वो अयिकुडी चले गए| 1970 के दशक की शुरुआत में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया और अपनी पढ़ाई पूरी की|
- इंजीनियरिंग के चौथे साल में 1975 में उन्होंने बैंगलोर में आयोजित नौसेना अधिकारियों की भर्ती के लिए फिज़िकल टेस्ट दिया जिसमें दुर्भाग्यवश उनकी गर्दन घायल हो गयी और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लग गई, जिसके परिणामस्वरूप उनका शरीर काफी ख़राब हो गया|
- इसमें उनके शरीर का एक हिस्सा बुरी तरह से घायल हो गया था| शुरुआत में उन्हें लगभग तीन महीने तक बैंगलोर के एयरफोर्स कमांड अस्पताल में रखा गया था, फिर उन्हें पुणे के सैन्य अस्पताल में शिफ्ट किया गया|
- मगर कभी भी एस. रामाकृष्णन ने हार नहीं मानी और ठीक होने के बाद अपने आर्थोपेडिक चिकित्सक और संरक्षक एयर मार्शल डॉ अमरजीत सिंह चहल से प्रेरित होकर उन्होंने 10 महीनों का एक छोटा सा कोर्स किया|
कैसी शुरू की सामाजिक सेवा – S Ramakrishnan social worker biography
- अपने एक इंटरव्यू में एस. रामाकृष्णन ने बताया था कि शुरुआत में तिरुनेलवेली जिला के ही अलग-अलग गांवों से पांच बच्चे आए थे, जो बचपन से ही दिव्यांग थे| इन्हें हमने शारीरिक रूप से मज़बूत बनाने का प्रयास किया और उनकी ग्रोथ के हिसाब से शारीरिक व्यायाम कराते थे|
- फिर धीरे-धीरे आसपास के लोग हमारे साथ इस काम में जुड़ने लगे, अब हज़ारों दिव्यांग बच्चे यहां शिक्षित भी हो रहे हैं, जिस बच्चे की जैसी दिव्यांगता है, उसे उसके अनुकूल सिखाया, पढ़ाया जाता है| बच्चों की थैरेपी, व्यायाम के लिए भी यहाँ कई डॉक्टर हैं|
अमर सेवा संगम की शुरुआत कैसे हुई?- S Ramakrishna social worker biography
- 1981 में, रामाकृष्णन ने अयिकुडी में विकलांग बच्चों के लिए एक स्कूल शुरू किया| इस संस्थान का नाम अमर सेवा संगम रखा गया| इस स्कूल की ज़मीन रामाकृष्णन के माता पिता के नाम पर थी|
- इस स्कूल में साल 1992 में सांकरा रमन शामिल हुए। वह एक ऑडिटर थे और उन्हें मस्कुलर डिसट्रॉफी की परेशानी है| उन्हें अमर सेवा संगम का सेक्रेटरी बनाया गया| शुरुआत में कुछ बच्चों के साथ इस संस्था को शुरू किया गया और पोलियो की रोकथाम के लिए कई कैम्पेन चलाए गए।
- धीरे – धीरे इस संस्था के साथ लोग जुड़ते चले गए और आज अमर सेवा संगम पोलियों की बीमारी के साथ-साथ कई चीज़ों से लड़ता है|
- अमर सेवा संगम संस्थान के माध्यम से रामाकृष्णन ने तीन दशक में तिरुनेलवेली जिले के 800 गांवों के कम से कम 6 लाख दिव्यांग व ज़रूरतमंद बच्चों को शिक्षित किया और रोज़गार के योग्य व आत्मनिर्भर बनाया|
- सेरेब्रल पाल्सी और मानसिक रोगों से ग्रस्त लोगों को डे केयर की सुविधा देना|
- फिज़िकल डिसेबल्ड लोगों की देखभाल करना|
- विकलांग बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा और विकलांग व्यक्तियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देना, बिना किसी शुल्क के|
अवार्ड
- एस रामकृष्णन को साल 2007 में IBN7 न्यूज़ चैनल की तरफ से सुपर आइडल, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया|
- साल 2012 में डॉ मैरी वर्गीस अवार्ड फॉर एक्सीलेंस एबिलिटी इन एवरेजिंग क्षमता से नवाज़ा गया|
- रोटरी क्लब ऑफ मद्रास, लाइफ टाइम अचीवर अवार्ड 2015 में उन्हें दिया गया|
- साल 2016 में टाइम्स ऑफ इंडिया अमेज़िंग इंडियन्स अवार्ड ‘अनस्टॉपेबल इंडियन्स‘ की श्रेणी में सम्मानित किया गया।
- पद्म श्री साल 2020 में दिया गया|
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