आज हमारी प्यारी भाषा हिंदी के लिए गौरव का दिवस है,
क्यूँकि आज विश्व हिंदी दिवस है …क्यूँकि आज विश्व हिंदी दिवस है …
(कविताकोष से साभार )हम हिंदी बोलते हैं , हिंदी में ही सोचते हैं , हिंदी में हम सहज हैं …फ़िल्में, समाचार पत्र, टीवी चैनल्स, गाने, संगीत सभी कुछ हिंदी में होता है, तो दिल तक पहुंचता है …आज उसी हिंदी का विश्व पहचान दिवस है ….
आईये हिंदी के लिए हम भी कुछ करें , थोड़ा पढ़ें , थोड़ा लिखें …क्यूंकि हिंदी हैं हम …कैसे शुरू हुई हिंदी ?
हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द सिन्धु से माना जाता है। ‘सिन्धु’ सिन्ध नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्दी’ के ‘जफरनामा’(1424) में मिलता है। (स्त्रोत : विकिपीडिया )विश्व हिंदी दिवस – हमारी राजभाषा
विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।
इसीलिए इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैसे यह भी बता दें कि यह हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है यह आधिकारिक भाषा है यानि की राज भाषा !कब हुआ शुरू :
भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी, 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं।हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति :
हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का ज्ञान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। यदि ऐसा किया जा सके तो सहज ही सब की समझ में यह आ जाएगा कि –
संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है।
वह सबसे अधिक सरल भाषा है।
वह सबसे अधिक लचीली भाषा है।
हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है.
वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन है।
वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।
हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं.
हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती।
अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
हिंदी दुनिया की दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है.
हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मोहताज नहीं रही।
भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन
भारत की सम्पर्क भाषा
भारत की राजभाषा
हिंदी की अधिक जानकारी के लिए यह विकिपीडिया लिंक अवश्य देंखे :
हिंदी
हमें गर्व है कि हमारा यह वेब पोर्टल ओहइंदौर.कॉम हिंदी में है , इसकी सफलता आपके ही हिंदी प्रेम का प्रतिसाद है ..धन्यवाद !
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(कविताकोष से साभार )हम हिंदी बोलते हैं , हिंदी में ही सोचते हैं , हिंदी में हम सहज हैं …फ़िल्में, समाचार पत्र, टीवी चैनल्स, गाने, संगीत सभी कुछ हिंदी में होता है, तो दिल तक पहुंचता है …आज उसी हिंदी का विश्व पहचान दिवस है ….
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हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द सिन्धु से माना जाता है। ‘सिन्धु’ सिन्ध नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा हिन्द शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’। यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्दी’ के ‘जफरनामा’(1424) में मिलता है। (स्त्रोत : विकिपीडिया )विश्व हिंदी दिवस – हमारी राजभाषा
विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था।
इसीलिए इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैसे यह भी बता दें कि यह हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है यह आधिकारिक भाषा है यानि की राज भाषा !कब हुआ शुरू :
भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी, 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं।हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति :
हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का ज्ञान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। यदि ऐसा किया जा सके तो सहज ही सब की समझ में यह आ जाएगा कि –
संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है।
वह सबसे अधिक सरल भाषा है।
वह सबसे अधिक लचीली भाषा है।
हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है.
वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन है।
वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।
हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं.
हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती।
अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
हिंदी दुनिया की दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है.
हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मोहताज नहीं रही।
भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन
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