Sunday 13 September 2020

Hindi Diwas 2020:आपदा में हिंदी के लिए बड़ा अवसर बना सोशल मीडिया

 कोविड-19 से उपजी स्थिति आपदा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अवसर सिद्ध हुई है। देश के कई छोटे बड़े प्रकाशक फेसबुक पर पेज बना किताबों पर चर्चा, लेखकों से परिचर्चा के माध्यम से पाठकों से रूबरू हो रहे हैं। पिछले छह माह में सोशल मीडिया पर कविता पाठ, मुशायरों और किताबों के प्रकाशन ने हिन्दी का बड़ा डिजिटल मंच तैयार कर दिया है। 

राजकमल, वाणी सहित हिंदी अन्य बड़े प्रकाशक ऑनलाइन विभिन्न विषयों व किताबों पर चर्चा-परिचर्चा आयोजित कर रहे हैं। जो लेखक प्राय: बड़ी संगोष्ठियों में ही जाया करते थे और उनको सुनने के लिए पाठक वर्ग सोशल मीडिया से जुड़ा है। इसमें युवाओं की संख्या भी काफी है। राजकमल के फेसबुक पेज पर कई कड़ी में प्रसिद्ध लेखक पुष्पेश पंत ने जहां अपनी बात रखी वहीं लेखिका मैत्रेयी पुष्पा, विश्वनाथ त्रिपाठी जैसे कई लेखक पहली बार फेसबुक लाइव हुए। कई बड़े हिंदी के लेखक खुद सोशल मीडिया पर अपनी रचनाओं के साथ प्रस्तुत हुए।

पाठकों तक पहुंचाई व्हाट्सएप से पहुंचीं किताबें, ऐप भी आएंगे-
कई प्रकाशकों ने सोशल डिस्टेसिंग के कारण लाइब्रेरी से दूर हुए पाठकों को देखते हुए उनको किताबें व्हाट्सएप पर पहुंचाई। राजकमल प्रकाशन समूह में संपादक सत्यानंद निरूपम बताते हैं कि जैसे ही हमने व्हाट्सएप पर किताबें पीडीएफ में देने की बात कही, हमसे 10 हजार लोगों ने संपर्क किया। हम लोग लगभग 30 हजार लोगों को प्रतिदिन पुस्तकों के अंश, कहानी, नाटक, संस्मरण, उपन्यास के अंश आदि भेजते हैं इससे हिन्दी का तेजी से प्रचार प्रसार हुआ।

दिलचस्पी बढ़ने से पाठक छूट के साथ डॉक द्वारा किताबें भी मंगवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी पाठकों के उत्साह को देखते हुए जल्द ही हिन्दी की किताबों के ऐप भी आएंगे, जिससे डिजिटल युवा पीढ़ी को आसानी से जोड़ा सकेगा। 

कोविड सेंटर में पहुंची हिंदी किताबें-
आत्मविश्वास बढ़ाने वाली हिंदी की बहुत सी किताबें विभिन्न प्रकाशकों ने कोविड सेंटर में भी नि:शुल्क पहुंचाई। नेशनल बुक ट्रस्ट में हिंदी के संपादक पंकज चतुर्वेदी बताते हैं कि छतरपुर कोविड केयर सेंटर में 1000 से अधिक किताबें दी गई। गाजियाबाद में बच्चों की हिंदी किताबें कोविड केयर सेंटर में दी गई जिसे बड़ा पसंद किया गया।

ऑनलाइन हो रहा पुस्तकों का विमोचन-
मनोज पांडेय इलाहाबाद में रहते हैं। उनकी किताब दस कहानियां का विमोचन ऑनलाइन हुआ। मनोज के मुताबिक, ऑनलाइन माध्यम से मैं इलाहाबाद में था, किताब पर बोलने वाले वक्ता पल्लव दिल्ली में थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले व प्रकाशक भोपाल में थे। यह एक अलग तरह का अनुभव था।

सोशल मीडिया पर नए मंच बने-
फेसबुक पर स्त्री दर्पण जैसे लेखको और कवियों के समूह बने, जिन्होंने लेखकों की जयंती या अन्य अवसरों पर उनकी कहानियों, कविताओं का लाइव सम्मेलन का आयोजन किया। 11 सितंबर को ऐसा ही आयोजन महादेवी वर्मा पर हुआ। ऐसा ही एक समूह मुक्तिपथ भी रहा। मृत्युजंय प्रभाकर का ऑनलाइन संवाद समूह गपॉस्टिक पर भी हिन्दी का चलन तेज हुआ। 

लाइव हिन्दुस्तान 

No comments:

Post a Comment

Featured post

Online Quiz on Dr. B R Ambedkar on his 133rd Birth Anniversary on 14th April 2024

 Kendriya Vidyalaya Southern Command Library is conducting a Quiz on Dr. B R Ambedkar on his 133rd Birth Anniversary on 14th April 2024.  14...